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कोचिंग से चल रही लोगों की आजीविका

Monday 30 July 2012

शहर के कोचिंग हब से संचालकों समेत चार हजार से अधिक लोगों की रोजी-रोटी चल रही है। इन्हें दो हजार से 25 हजार रुपये तक मासिक वेतन मिल रहा है। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय में शहर के 300 से अधिक कोचिंग केंद्र पंजीकृत हैं। इनमें सर्वाधिक आईआईटी- जेईई, एआइईईई व यूपीटीयू की तैयारी कराने वाले हैं। भौतिकी, रसायन व गणित विषयों की अलग-अलग कोचिंग हैं। संख्या के हिसाब से दूसरा स्थान है मेडिकल कोचिंग का। जहां यूपी सहित दूसरे प्रदेशों की मेडिकल प्रवेश परीक्षा के साथ विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबद्ध मेडिकल पाठ्यक्रम व एम्स आदि की तैयारी कराई जाती है। इन केंद्रों में शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ तमाम कर्मचारियों को रोजगार मिला है। इसके अलावा आईएएस, पीसीएस, एमबीए, एमसीए, आईआईएम, पीजीडीएम सहित अन्य रोजगारपरक पाठ्यक्रमों के कोचिंग केंद्रों में 5 से 25 लोग कार्यरत हैं। वे लिपिक, एकाउंटेंट, चौकीदार, माली, ड्राइवर, प्रशिक्षक, शिक्षक, आईटी एक्सपर्ट आदि के रूप में काम कर रहे हैं। अनुभव के बाद खोला अलग केंद्र शहर में दो दर्जन से अधिक ऐसे शिक्षक हैं जो कभी इन कोचिंग केंद्रों में पढ़ाते थे। अनुभव बढ़ा तो उन्होंने अलग केंद्र शुरू कर दिया। इसके चलते कोचिंग हब काकादेव से दक्षिण तक पहुंच गया। कुछ केंद्रों की शाखाएं लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी सहित अन्य शहरों में हैं। वहां के लोगों को भी रोजगार मिलने में सुविधा हो रही है।

मायावती की प्रतिमा को तोड़े जाने के विरोध सरकार को अल्टीमेटम

Thursday 26 July 2012

लखनऊ| बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की प्रतिमा को तोड़े जाने के विरोध में गुरुवार देर शाम बसपा के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विधान सभा मार्ग जाम कर विरोध जताया। बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने घटना की निंदा करते हुए आरोपियों की तीन दिन के अंदर गिरफ्तारी न होने पर प्रदेशव्यापी आंदोलन करने का सरकार को अल्टीमेटम दिया। करीब दो घंटे जाम रहे विधान सभा मार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद लोगों को जाम से निजात मिल सकी।





शाम करीब छह बजे बसपा सुप्रीमों व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की प्रतिमा को तोड़े जाने के विरोध में छात्रों का एक दल विधान सभा मार्ग पर पहुंचा और सरकार विरोधी नारे लगाने लगा। देखते ही देखते विधान सभा के सामने वरिष्ठ बसपा नेताओं का जमावड़ा लगने लगा। पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या, राज्यसभा सांसद ब्रजेश पाठक, जुगल किशोर, एमएलसी अरविंद त्रिपाठी उर्फ गुड्डू त्रिपाठी व इंतजार आब्दी सहित कई नेताओं और कार्यकर्ताओं का हुजूम विधान सभा मार्ग पर बैठकर गया और सरकार विरोधी नारे लगाने लगा। करीब दो घंटे तक आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। सभी ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए घटना को साजिश करार दिया। प्रदेश अध्यक्ष ने स्मारकों की सुरक्षा व्यवस्था फिर से बहाल करने और घटना से संबंधित लोगों के ऊपर सख्त कार्रवाई कर उन्हें जेल में भेजने की मांग की।

जाम की खबर मिलते ही विधान सभा मार्ग पर पुलिस व जिला प्रशासन के अधिकारियों का जमावड़ा लग गया। अधिकारियों के आश्वासन के बाद करीब आठ बजे नेताओं व कार्यकर्ता का हुजूम विधान सभा मार्ग से हटा। इसके बाद अधिकारियों ने राहत की सांस ली। करीब दो घंटे तक लगे जाम की वजह से वाहनों की लंबी कतारें लग गई। यातायात डायवर्जन के बावजूद लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

राजेश खन्ना पंचतत्व में विलीन

Thursday 19 July 2012

हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना के पार्थिव शरीर का विले पार्ले के पवन हंस श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया. काका को उनके परिजन, दोस्तों और सैकड़ों चाहने वालों ने नम आंखों से विदाई दी. इस मौके पर उनके परिवार के लोगों के अलावा फिल्म इंडस्ट्री के लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद थे.
नाती आरव ने अपने पिता अक्षय कुमार के साथ उन्हें मुखाग्नि दी. पुख्ता इंतजाम होने के बावजूद अपने चहेते सितारे की अंतिम झलक पाने जाने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ इकठ्ठा होने से थोड़ी अव्यवस्था फैल गई. फैन्स को रोक पाने में प्रशासन के इंतजाम नाकाफी साबित हुए. अमिताभ, अभिषेक, रणधीर कपूर, राजीव कपूर सरीखे कलाकार जब भीड़ में धक्का मुक्की का शिकार हुए, तो पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा. हिंदी सिनेमा के इस दिग्गज ऐक्टर का बुधवार को उनके बंगले आशीर्वाद में निधन हो गया था. उनके निधन का कारण आधिकारिक तौर पर नहीं बताया गया है, हालांकि उनके करीबियों का कहना है कि लीवर इंफेक्शन के कारण उनकी मौत हुई.
भारतीय सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना आज सुबह 11.30 बजे पंचतत्व में विलीन हो गए. विले पार्ले शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार किया गया. अक्षय कुमार और ट्विंकल खन्ना के बेटे आरव ने अपने नाना के पार्थिक शरीर को मुखाग्नि दी. अंतिम संस्कार में बॉलीवुड की तमाम बड़ी हस्तियां शामिल हुईं. राजेश खन्ना ने बुधवार सुबह 11 बजे अंतिम सांस ली थी. वे 70 साल के थे और पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे थे.

जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मकाम..

Wednesday 18 July 2012


उदयपुर। उदयसागर की जलराशि में हेमा मालिनी के उभरते प्रतिबिम्ब को देखने पर शुरू हुआ फिल्म राजपूत का गीत मेरे संग संग आया… तेरी यादों का मेला.. आज बहुत याद आ रहा है। जिंदगी की जितनी परिभाषाएं गीतों के माध्‍यम से जितनी राजेश खन्‍ना ने दी, शायद उतनी कोई नहीं दे पाया।

इन पर जिन्दगी के नाम से कई गीत फिल्माये जाकर जीने का नया फलसफा दे दिया। जिन्दगी.. कैसी है पहेली ये हाय… जिंदगी का सफर, है ये कैसा सफर, जिन्दगी.. एक सफर है सुहाना…, जिन्दगी के सफर में गुजर जाते हैं वो मकाम… जिन्द गी प्यार का गीत है… सहित जिन्दगी पर आधारित ऐसे कई गीत हैं जिन्होंने आदमी को जिन्‍दगी की हकीकत से वाकिफ करा दिया। उनके गीतों को हर व्यक्ति अपनी जिन्दगी में एक न एक बार गुनगुनाता जरूर है।

फिल्म के हीरो बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना पर उदयपुर के समीप उदयसागर की तलहटी में फिल्माया गया था। जी करता है वापस जाऊं… जाकर तुझको साथ ले आऊं.. मैं यादों के इस मेले में कैसे रहूं अकेला… मेरे संग संग आया…। तेरी गली से जब मैं निकला.. सब कुछ देखा बदला बदला, जैसा अब है वैसा कब था… ये मौसम अलबेला…. मेरे संग संग…।
लेकिन ये सिर्फ अब यादें ही रह गईं हैं। बॉलीवुड के अधिकतर सितारे उदयपुर आ चुके हैं। भले ही एक बार या कई बार…। उदयपुर के साथ जुड़ी उनकी यादें भी अमिट हैं। आज वह रोमांटिक चेहरा बार बार हर किसी को याद आ रहा है। चाहे वह आनंद का बाबू मोशाय हो जिसने हर कलकत्तावासी को बाबू मोशाय का नाम दे दिया।
सुपरस्टा‍र को श्रद्धांजलि..

भारत-पाकिस्तान में क्रिकेट संबंध बहाल

Monday 16 July 2012

भारत व पाक में द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज का मुहूर्त करीब पांच साल बाद फिर निकल आया है। मुंबई हमले के गुनहगारों के खिलाफ कार्रवाई में आनाकानी के बावजूद केंद्र सरकार ने बीसीसीआइ को पाकिस्तान के साथ तीन एकदिवसीय व दो टी-20 मैच आयोजित करने की हरी झंडी दे दी है। इस फैसले पर क्रिकेट एवं राजनीति के मैदान से विरोध के स्वर भी मुखर होने लगे हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंध बहाल करने का फैसला सोमवार को बीसीसीआइ की कार्यकारी समिति ने लिया। बोर्ड ने एक बयान में बताया कि पाकिस्तानी क्रिकेट टीम को दिसंबर 2012 से जनवरी 2013 के बीच तीन एकदिवसीय व दो टी-20 मैचों की सीरीज खेलने के लिए आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया है। कोलकाता, चेन्नई और दिल्ली में एकदिवसीय जबकि बेंगलूर और अहमदाबाद में टी-20 के मुकाबले होंगे। बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य राजीव शुक्ला ने बताया कि किसी तीसरे देश में न खेलने पर बीसीसीआइ अडिग था। इसलिए पाकिस्तानी टीम को 22 दिसंबर को आने का न्योता भेजने का फैसला किया गया।

पसंद हैं पौराणिक किरदार डिंपी महाजन

डिंपी महाजन मॉडलिंग से कहानी चंद्रकांता की तक के सफर के बार े में बताएं? -यह यात्रा बड़ी रोचक रही है। कोलकाता से मुंबई आने तक कई मुश्किलें भी आईं। राहुल महाजन से शादी के बाद हमारे रिश्ते में कुछ कड़वाहट भी आई। इसके बावजूद मैं हिम्मत नहीं हारी। मुङो मेरी मेहनत का फल कहानी चंद्रकांता की में नागिन ज्वाला की भूमिका को पाकर मिल गया। हालांकि इच्छाधारी नागिन का किरदार एक पौराणिक कथा से प्रेरित है, लेकिन वर्तमान समय में भी इस किरदार को दर्शक पसंद करेंगे।

कहानी चंद्रकांता की की मौजूदा कहानी के बारे में बताएं? -पहले यह फैंटेसी कॉस्ट्यूम ड्रामा था, लेकिन कहानी में नया ट्विस्ट आने के बाद इसमें इच्छाधारी नाग-नागिन के प्रसंग डाल दिए गए हैं। इससे कहानी में एक नया रंग आ गया है।


कहानी का ताना-बाना नागिन ज्वाला और डाकू मंगल सिंह के इर्द-गिर्द बुना गया है। नागिन ज्वाला की भूमिका के बारे में क्या कहेंगी? -सहारा-वन टेलीविजन की ओर से मुङो यह दमदार भूमिका मिली है। इससे मैं बेहद उत्साहित हूं। बचपन में इच्छाधारी नाग-नागिन के प्रसंग वाली कई पौराणिक कथाएं सुनने को मिलीं और कई शो भी देखे। कलाकारों के कास्ट्यूम देखकर मन में इस तरह की भूमिकाएं करने की इच्छा भी होती थी।

इस शो का हिस्सा बनकर बेहद खुश हूं, कोशिश करूंगी कि मैं अपना शत-प्रतिशत दूं। क्या आपको लगता है कि कहानी चंद्रकांता की दर्शकों में अपनी छाप छोड़ेगा? -आज के दर्शक ज्यादा डिमांडिंग हैं। वे टीवी पर दमदार शो देखना चाहते हैं। इच्छाधारी नाग-नागिन के प्रसंग जुड़ने के बाद यह शो दर्शकों की कसौटी पर खरा उतरेगा, ऐसा मेरा विश्वास है।

सुनील अग्निहोत्री के निर्देशन का तरीका कैसा लगा? -वह एक संवेदनशील और मीठे स्वभाव के इंसान हैं। एक निर्देशक के रूप में उनके काम में परिपक्वता नजर आती है। उनका प्रोडक्शन स्तर भी अच्छा है। हम सभी कलाकार उनका सपोर्ट सिस्टम हैं। टीवी पर आपको किस तरह के पात्र पसंद हैं? -मैं उस तरह के किरदार करना चाहूंगी, जो कहानी का अंतरंग हिस्सा हो और जिनमें भावनात्मक रंग भी हों। अपने आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में कुछ बताएं? -फिलहाल मेरे लिए कहानी चंद्रकाता की अहम है। इस शो के लिए मेहनत से काम करना है। इसमें अपने चयन की सार्थकता साबित करना है। - जे. संजीव कोलकाता में जन्मी एवं मॉडलिंग के जरिए एक्टिंग तक का सफर तय करने वाली बंगाली बाला सोमासरी गांगुली को लोग भले नहीं पहचानते हों, लेकिन प्रमोद महाजन के पुत्र राहुल महाजन की दुल्हनिया डिंपी महाजन को लोग जरूर पहचानते होंगे। इमेजिन टीवी के रियलिटी शो राहुल दुल्हनियां ले जाएगा के जरिए ही तो राहुल ने डिंपी से स्वयंवर रचा कर टेलीविजन के इतिहास में धमाका किया था। इससे पहले वह 2009 में आयोजत ग्लेडरैग्स मेगा मॉडल मैनहंट के ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भी हिस्सा ले चुकी थीं। रियलिटी शो जोर का झटका में भी उन्होंने शिरकत की थी। एक ब्रेक के बाद डिंपी निमार्ता-निर्देशक सुनील अग्निहोत्री और सहारा-वन टेलीविजन के फिक्शन शो कहानी चंद्रकांता की में इच्छाधारी नागिन ज्वाला की भूमिका अपने हिस्से में करके फिर से सुर्खियों में आ गई हैं। इस सीरियल में उनके किरदार एवं अन्य पहलुओं पर डिंपी से बातचीत के अंश : मुङो मेरी मेहनत का फल कहानी चंद्रकांता की में नागिन ज्वाला की भूमिका को पाकर मिल गया। हालांकि इच्छाधारी नागिन का किरदार एक पौराणिक कथा से प्रेरित है, लेकिन वर्तमान समय में भी इस किरदार को दर्शक पसंद करेंगे।

अफसरों की कमी से सीबीआइ जांच अटकी

Sunday 15 July 2012

अधिकारियों की कमी के कारण उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले की जांच अटक गई है। सीबीआइ न तो उन मामलों की जांच आगे बढ़ा पा रही है, जिनमें पहले से एफआइआर दर्ज है और न ही नई एफआइआर दर्ज कर पा रही है। सीबीआइ ने उत्तर प्रदेश सरकार से जांच में मदद के लिए लगभग एक दर्जन अधिकारियों की मांग की थी। लेकिन अभी तक एक अधिकारी ही एजेंसी को मिल पाया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनआरएचएम घोटाले में लगभग 14 नई एफआइआर दर्ज करने की सख्त जरूरत है। इसकी पूरी तैयारी भी कर ली गई है। लेकिन केवल अधिकारियों की कमी के कारण एफआइआर दर्ज नहीं की जा रही है। उनके अनुसार एफआइआर दर्ज करने के बाद आरोपियों के ठिकानों पर छापे के साथ-साथ उनसे पूछताछ और संबंधित दस्तावेजों की छानबीन शुरू करनी होगी। इन सब कामों के लिए समर्पित अधिकारियों की जरूरत होती है। जांच एजेंसी के पास मौजूद अधिकारियों पर पहले से ही काफी बोझ है और उन्हें नए मामले देने से पुराने मामलों की जांच पर असर पड़ सकता है। एनआरएचएम घोटाले में सीबीआइ 14 एफआइआर पहले ही दर्ज कर चुकी है और इनमें कई में चार्जशीट भी हो चुकी है। लेकिन अन्य मामलों की जांच बीच में रुकी पड़ी है। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश की नई सरकार को सत्ता में आते ही सीबीआइ ने साफ कर दिया था कि एनआरएचएम घोटाले की बारीकी से और निष्पक्ष जांच के लिए राज्य के अधिकारियों की मदद की जरूरत होगी। इसके लिए राज्य सरकार को आठ इंस्पेक्टर और चार डीएसपी स्तर के अधिकारी उपलब्ध कराने को कहा गया था। चार माह में केवल एक अधिकारी ही सीबीआइ को मिला है। यही कारण है कि एजेंसी इतने बड़े घोटाले में आगे और हाथ डालने के लिए फिलहाल तैयार नहीं है। अधिकारियों की कमी के कारण ही सीबीआइ ने अभी तक रणवीर सेना के प्रमुख बरमेश्वर मुखिया की हत्या की जांच की जिम्मेदारी नहीं ली है। इसके लिए भी सीबीआइ बिहार सरकार से अधिकारियों की मांग कर रही है। अधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि राज्य सरकारें केवल जांच की सिफारिश कर अपने दायित्व से मुक्त नहीं हो सकती है। उन्हें मामले की निष्पक्ष और गहराई से जांच सुनिश्चित कराने के लिए सीबीआइ की मदद भी करनी होगी। सीबीआइ लंबे समय से अधिकारियों और स्टाफ की कमी की शिकायत करती रही है। राज्यों से समुचित सहयोग न मिलना भी उसके लिए परेशानी भरा रहा है।

आजम खान पंचायत के तुगलकी फरमान के साथ, जब मंत्री ऐसा तो.....

Friday 13 July 2012

लखनऊ| उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री आजम खान ने शुक्रवार को एक विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि बागपत में पंचायत ने जो फैसला सुनाया है उसमें कुछ गलत नहीं है। आजाद भारत में सभी को अपनी बात कहने का हक है। लखनऊ में मीडियाकर्मियों से बातचीत में आजम ने कहा, "मैं नहीं समझता कि बागपत में पंचायत ने जो फैसला सुनाया है वह गलत है। पंचायत का यह फैसला फरमान नहीं, बल्कि कुछ लोगों की राय हो सकती है और अपने समाज की बेहतरी के लिए कुछ लोग एक साथ बैठकर राय- मशविरा करते हैं तो इसमें गलत क्या है?" उन्होंने कहा कि पंचायत ने इस तरह का फरमान क्यों सुनाया, इसकी वजह भी जानने की जरूरत है। हो सकता है समाज की बेहतरी के लिए ही ऐसा किया गया हो।
आजम ने कहा, "लोग आजाद भारत में जी रहे हैं और सबको अपनी बात कहने का हक है। अगर उनके इस फैसले से कानून-व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ता है तो मैं नहीं समझता कि यह गलत है। यदि कानून-व्यवस्था बिगड़ेगी, तब की तब देखी जाएगी।"
जब यह पूछा गया कि पंचायत ने महिलाओं के मोबाइल का उपयोग करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है, तो आजम ने कहा, "मैं किसी मोबाइल कम्पनी का एजेंट नहीं हूं। पंचायत ने कोई फैसला लिया है तो सोच-समझकर ही लिया होगा।"
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के आसरा गांव में बुधवार को हुई पंचायत में मुस्लिम बिरादरी के कई लोग शामिल हुए थे। इस दौरान पंचायत ने छेड़खानी की घटनाओं को रोकने के लिए तुगलकी फरमान सुनाते हुए कहा था कि गांव की 40 साल तक की कोई महिला या युवती बाजार नहीं जाएगी और इस उम्र तक की महिलाएं गांव या उससे बाहर मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करेंगी।

वेबसाइट पर होगी सांस्कृतिक गतिविधियों की जानकारी

लखनऊ। रंगयात्रा की वेबसाइट पर तमाम सांस्कृतिक गतिविधयों के साथ ही साहित्य की ताजा जानकारियां उपलब्ध होंगी। संस्था ने शुक्रवार को अपनी वेबसाइट www.Rangyatra.org की शुरूआत राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह के जयशंकर प्रसाद सभागार में की।
वरिष्ठ रंगकर्मियों के साथ वेबसाइट का उद्घाटन करते हुए संस्था के महासचिव ज्ञानेश्वर मिश्र ज्ञानी ने कहा कि रंगयात्रा ने इस वेबसाइट को अपने काम के प्रमोशन तथा संस्कृति एवं साहित्य के उत्थान को ध्यान में रखकर किया है। इसमें वर्तमान समय में लगभग 10 आइकैन है। यह आइकैन होम, प्रोडक्शन, अबाउट एज, नाट्य समारोह, कैरियर, डोनेट, डायरेक्टरी, न्यूज एंड इवेन्ट्स, कॉन्टेक्ट आदि हैं। उन्होंने बताया कि होम में सभी आइकैन की जानकारी है। प्रोडक्शन में संस्था द्वारा पिछले वर्षो में की गई प्रस्तुतियों का विवरण है। इसके अन्तर्गत का सारांश, छायाचित्र प्रेस प्रतिक्रिया तथा प्रदर्शन का विवरण है। अबाउट्स में संस्था के उद्देश्य तथा संस्था की समस्त जानकारी है। नाट्य समारोह में संस्था के प्रत्येक वर्ष स्थापना दिवस 17 जनवरी से नाट्य समारोह के कार्यक्रमों का विवरण है। डोनेट में संस्था के आगामी वर्षो में कला संस्कृति एवं साहित्य से जुड़े जरूरत मन्दों की आíथक रूप से मदद किए जाने का विवरण है। न्यूज एवं इवेन्ट्स आइकैन में कला एवं संस्कृति से जुड़ी खबरों को दिया जायेगा। कान्टेक्ट में संस्था का विवरण होगा जिससे व्यक्ति संपर्क कर सकता है।

चाइनीज राखियों ने बाजार में बिखेरी रौनक

Thursday 12 July 2012

बहिना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है, प्यार के दो तार से संसार बांधा है——भाई बहिन के आपसी प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। राखी के त्यौहार पर बहिनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लम्बी उम्र की कामना करती हैं। इस बार बहिनें भाई के इस प्यार को मार्केट में आई डिजाइनर राखियों से और भी बढा देंगी। पर्व की तैयारियों में इस बार चाइनीज राखियों ने बाजार की रौनक को और भी बढ़ा दिया है। रक्षाबंधन पर्व जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है। वैसे-वैसे बाजार में नई-नई डिजाइनर राखियां देखने को मिल रही है। बागला मार्ग स्थित राखी विक्रेता ने बताया कि इस बार राखियों में दस से बीस प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। लेकिन इस बार बाजार में मोतियों वाली राखियां, छोटे छोटे डिजाइनों में उपलब्ध हुई हैं। खासकर बच्चों को चाकलेट लगी हुईं, टेडी वियर और मेवा लगी राखियां खूब भा रही हैं। वहीं राखी विक्रेता रामकुमार वाष्ण्रेय ने बताया कि हर बार की अपेक्षा राखियों के दामों बढोत्तरी तो हुई है साथ ही बच्चों के लिए खास प्रकार की राखियां मार्केट में उपलब्ध रहेंगी।

मालगाडी के 26 डिब्बे पटरी से उतरे .हावडा-दिल्ली रेल मार्ग बाधित

उत्तर प्रदेश में मुगलसराय के पास भभुआ रेलवे स्टेशन के निकट मालगाडी के 26 डिब्बे पटरी से उतरने के कारण दिल्ली-हावडा रेल मार्ग बाधित हो गया| राजकीय रेलवे पुलिस वाराणसी के उपाधीक्षक रामजीत यादव ने बताया कि कल देर रात भभुआ रेलवे स्टेशन के पास एक मालगाडी के 26 डिब्बे पटरी से उतर गये| जिसके कारण हावडा- दिल्ली मुख्य रेलमार्ग बाधित हो गया1 इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है| उन्होंने बताया कि राजधानी एक्सप्रेस समेत कई गाडियों के मार्ग में परिवर्तन किया गया है| अब रेलगाडियां पटना मार्ग से चलायी जा रही हैं| श्री यादव ने बताया कि पटरियों की मरम्मत का काम तेजी से चल रहा है| इस दुर्घटना में तीनो ट्रैक क्षतिग्रस्त हुए हैं| उन्होंने बताया कि मामले की उच्चस्तरीय जांच करायी जा रही है| उन्होंने इस घटना में नक्सलवादियों के हाथ होने की भी आशंका जतायी है| उनका कहना था कि रात में मरम्मत के काम में बाधा पहुंची थी लेकिन सुबह से यह कार्य तेजी से चल रहा है|

यूपी पर मेहरबान हुआ मॉनसून, जमकर भीगा लखनऊ

Sunday 8 July 2012

लखनऊ। पलकें बिछाये मॉनसून का इंतजार कर रहे लोगों ने जब सुबह आंख खोली तो उन्हें विश्वास ही हुआ। सावन की काली घटाओं के बीच झमाझम बारिश मौसम को खुशनुमा बना रही थी। काफी दिनों से मानूसन की फुहारों को तरस रहे लोगों के लिए मौसम का यह मिजाज राहत पहुंचाने वाला रहा।

यूपी में बारिश को बनाने के लिए लोग टोटके व हवन आदि कर रहे थे। खुशी की बात यह रही कि इन्द्रदेव की मनौती पूरी हुई और राजधानी लखनऊ में तो झमाझम बरसात हुई लेकिन प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में फिलहाल अभी हल्की फुहारें ही पड़ी। अनुमान यह है कि अगले चौबीस घंटों में पूरे प्रदेश में झमाझम बरसात होगी। वैसे तो पिछले दो दिनों से चल रही बादलों के लुकाछिपी खेल चल रहा था लेकिन तड़के सुबह राजधानी लखनऊ में जमकर बरसात हुई। उमड़ते-घुमड़ते बादलों ने सुबह से जो बरसना शुरू किया दोपहर बाद ही थमा। बारिश की वजह से लोगों को भीषण गर्मी से राहत तो मिली है साथ ही किसानों के चेहरे पर भी संतुष्टि की हल्की लकीर दिखी। पिछले कई दिनों से तपिश भरी धूप से पुरवाई हवा और बादल ने छुटकारा दिलाते हुए मौसम का मिजाज बदल दिया है। मौसम विभाग के अनुसार लखनऊ और कानपुर में तेज बारिश हुई जबकि गोंण्डा, बाराबंकी, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी, फैजाबाद, अम्‍बेडकरनगर में फुहारें पड़ी। अगले दो तीन दिनों में पूरे राज्य में बारिश होने की संभावना है। वहीं बादलों के इस खेल में जहां कुछ शरीक हुए और बारिश मजा लिया वहीं कुछ लोग जलभराव से परेशान भी हुए। वैसे बादलों की आवाजाही तो कई दिनों से जारी थी, लेकिन यह बादल बिना बरसे ही तरसा के निकल जा रहे थे। लोग काले मेघों को निहारते ही रह गये। बहरहाल आज लोगों को निराश नहीं होना पड़ा। पूरे लखनऊ में जमकर पानी बरसा। सुबह पांच बजे से शुरू हई झमाझम बरसात करीब ग्यारह बजे तक चली। हालांकि दोपहर बाद हल्की धूप निकल आयी लेकिन कुछ ही देर बाद फिर से बदली छा गयी। शाम को फिर काले बादल छाने लगे। देर रात भी तेज बारिश होने की आशंका जतायी जा रही है। लगातार हुई मूसलाधार बरसात के चलते तामपान में भी गिरावट दर्ज की गयी। आज यह तीन डिग्री घट गया। मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी जोरदार बरसात होने के आसार जताये हैं।

निर्दलीयों का दबदबा !

Saturday 7 July 2012

कमल तिवारी

लखनऊ। चुनाव में भाजपा को भले ही जबरदस्त कामयाबी मिली है, पर पीस पार्टी व कौमी एकता दल ने भी एक-एक सीट से खाता खोल दिया है। कांग्रेस को पांच जोन में कामयाबी तो मिली है लेकिन निर्दलीयों पर जनता कुछ ज्यादा ही मेहरबान रही और सबसे ज्यादा 50 निर्दलीय नगर निगम सदन में पहुंच गये हैं। निर्दलीयों की संख्या में एकदम से इजाफा होने की एक बड़ी वजह सपा के चुनाव मैदान से बाहर होना भी है। बसपा तो पिछली बार भी अपने झण्डा-निशान पर चुनाव नहीं लड़ी थी, लेकिन बाद में कई निर्दलीय पार्षद सदन में बसपाई बन गये थे। नगर निगम सदन में किस दल का बहुमत रहेगा, यह अभी साफ नहीं कहा जा सकता है। निर्दलीय अपनी ताकत बरकरार रखते हैं या फिर दूसरे दलों का दामन थाम लेते हैं। यह देखने की बात है। भाजपा की ताकत तो पिछले चुनाव से बढ़ी है, लेकिन सदन में अभी भी वह बहुमत तक अपनी ताकत से नहीं पहुंच पायी है। उसकी सीटें 48 ही रह गयी हैं। परिणाम इस बार कुछ चौंकाने वाले रहे और पीस पार्टी तथा कौमी एकता दल को खाता खोलने में कामयाबी मिली। पीस पार्टी ने भवानी गंज में कामयाबी हासिल की। कौमी दल ने मौलवीगंज में जीती है। कांग्रेस की ताकत पिछले चुनाव से कम हो गयी है। पिछली बार कांग्रेस ने 22 सीटें हासिल की थी, लेकिन बाद में कुछ सदस्यों के दूसरे दलों में चले जाने के बाद उनकी संख्या कम हो गयी थी। इस बार तो सिर्फ 10 सीटों पर ही सिमट गयी है। ऐसे में सदन की 110 सीटों पर भाजपा पार्टी के रूप में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। उल्लेखनीय है कि इस बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने निकाय चुनाव से खुद को अलग रखा। नतीजतन पिछली बार तक सपा के झण्डा तले परचम फहराने वाले सभासद इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे और कामयाबी भी हासिल की है। बहुजन समाज पार्टी ने तो पिछली बार भी निकाय चुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे, लेकिन बाद में जीतने वाले कई निर्दल सभासद सदन में बसपाई हो गये थे। यही वजह है कि निर्दलीय सदस्यों की संख्या इस बार सदन में ज्यादा हो गयी है। भाजपा के जीते हैं 48 पार्षद कांग्रेस की घटी ताकत पीस पार्टी व कौमी एकता दल ने भी खोला खाता

डा.दिनेश शर्मा ने रचा इतिहास



171824 वोटों से जीतकर महापौर की कुर्सी पर दोबारा जमाया कब्जा

लखनऊ । नगर निगम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डा. दिनेश शर्मा ने प्रतिद्वंद्वियों को अबतक के सबसे बड़े वोटों के अंतर से हराकर एक बार फिर लखनऊ के महापौर की कुर्सी पर कब्जा जमाया। उन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के डा. नीरज बोरा को 171824 वोटों से हराया। डा. शर्मा को 335025 वोट मिले, जबकि डा. बोरा को 163201 वोट मिले। पीस पार्टी के मो. रईस 115784 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। महापौर के लड़ाई में डा. दिनेश शर्मा शुरू से ही सभी बूथों पर आगे रहे। उनको लगभग सभी वाडरे में वोट मिले। शुरू में तो लगभग सभी प्रत्याशी मतगणना केन्द्रों पर नजर आये, लेकिन जैसे ही रुझान आना शुरू हुआ, सभी ने मैदान छोड़ना शुरू कर दिया। चाहे कांग्रेस के डा. नीरज बोरा हों या पीस पार्टी के मो. रईस। डा. दिनेश शर्मा के चेहरे पर शुरू से खुशी नजर आ रही थी। वह सुबह सभी केन्द्रों का दौरा किया और जीत की घोषणा होने

के बाद राजकीय पालीटेक्निक पर अपने समर्थकों के साथ नजर आये। पिछले चुनाव के मुकाबले मिली भारी जीत की खुशी से लबरेज नजर आ रहे थे। पिछले चुनाव में वह लगभग नौ हजार वोटों से विजयी हुए थे, जबकि इसबार वह 171824 वोटों से विजयी घोषित हुए। डा. शर्मा को इस बार मुस्लिम इलाकों में भी भारी समर्थन मिला। उनको जोन-एक में 30434, जोन-दो में 47784, जोन-तीन में 74500, जोन-चार में 63157, जोन-पांच में 67494 व जोन-छह में 51472 वोट मिले। यह स्थिति तब थी, जब पॉश इलाकों में दस से 15 फीसद वोट पड़े थे। उन्होंने वोटरों को धन्यवाद दिया है।


ओडिशा में देवता के रूप में पूजे जाते है बापू

Friday 6 July 2012

"दक्षिण भारत के कई शहरों में शहरो में फ़िल्मी कलाकारों के मंदिरों की बातें आपने कई बार सुनी होगी लेकिन शायद भारत के इस मंदिर की बात आप तक नहीं पहुँची होगी. ओडि़शा के संबलपुर जिले के एक गाँव में एक ऐसा मंदिर है जिसमें महात्मा गांधी को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है. पढ़िए ओडिशा के हिन्दी के विद्वान लेखक, प्राचार्य और पत्रकार श्री अशोक पांडे की ये रिपोर्ट "

ओडिशा के सम्बलपुर जिले के भत्रा गाँव में हरिजनों के लगभग दो सौ परिवार रहते है. इस गाँव के लोग अपने काम पर जाने से पहले मंदिर में आकर अपने इष्ट देव से प्रार्थना करते है और प्रसाद ग्रहण करके अपने-अपने काम पर निकल जाते है. वैसे तो हर जगह लोग काम पर जाने के पहले अपने-अपने भगवान के मंदिर जाते है मगर इस गाँव की खासियत ये है कि इसके मंदिर में देवता के रूप में किसी भगवान की नहीं एक इंसान की पूजा होती है,यहाँ पूजा होती है महात्मा गांधी की. ये मंदिर संभवतः विश्व का एकमात्र मंदिर है जिसमेंगांधीजी को भगवान मानकर पूजा जाता है.
इस गांधीमंदिर की परिकल्पना भत्रा गांव के एक अबोध बालक अभिमन्यु कुमार के मन में आज़ादी के पहले आई थी.इस कल्पना को उस अबोध बालक ने बड़ा होकर पूरा कर दिखाया. अभिमन्यु जी की उम्र अब ८६ वर्ष है.गांधीवादी विचारधारा के बल पर वे लगातार ४ बार विधायक रहे.उनके भागीरथी प्रयत्नों से १९७४ में इस गांधी मंदिर का निर्माण पूरा हुआ.इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर अशोक स्तंभ है.मंदिर के ठीक सामने भारत मां की मूर्ति है जिसके दोनों ओर दो-दो सिंह और मोर हैं. मंदिर के गर्भगृह में महात्मागांधी की कांस्य की बनी
लगभग साढ़े चार फीट लंबी मूर्ति का पूजन होता है.मंदिर के सबसे ऊपर भारत का राष्ट्रीय ध्वज सदा फहराता है. मंदिर में हर दिनं दो बार पूजा होती है और गांधीजी का प्रिय भजन दिन रात गूंजता रहता है.
रोजाना इस मंदिर में सैकड़ों लोग आते है. मदिर को अब मरम्मत एवं रंगाई पुताई की दरकार है. मंदिर के मुख्य पुजारी श्री कालिया बाग और मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री प्रमोद रंजन कुमार बताते है कि आर्थिक सहयोग के अभाव में ये काम ठप्प पड़ा है. उन्हें उम्मीद है कि ओडि़शा अथवा केंद्र की सरकार जल्द ही इस दिशा में कुछ करेगी.


यूपी में विद्यार्थियों को जल्दी मिलेंगे मुफ्त लैपटॉप

उत्तर प्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों को मुफ्त टैबलेट कम्प्यूटर और लैपटाप देने के चुनावी वादे पर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये.
प्रदेश के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने राज्य के माध्यमिक शिक्षा निदेशक, सभी मण्डलायुक्तों तथा जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में विद्यार्थियों को मुफ्त टैबलेट और लैपटाप देने सम्बन्धी निर्देश जारी करते हुए बताया कि इस योजना के सफलतापूर्वक लागू करने के लिये विशेष परियोजना क्रियान्वयन इकाई गठित करने का निर्णय लिया गया है.
उन्होंने पत्र में कहा है कि इस इकाई का गठन होने तक योजना से सम्बन्धित कार्य संचालन का जिम्मा उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद को दिया गया है. साथ ही इस योजना के तहत टैबलेट अथवा लैपटाप खरीदने के लिये उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन लिमिटेड को अधिकृत किया गया है.
उस्मानी ने खत में कहा कि योजना के तहत सबसे पहले राजकीय विद्यालयों के पात्र छात्र-छात्राओं को टैबलेट या लैपटाप दिया जाएगा.
उसके बाद अशासकीय सहायता प्राप्त, मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त अरबी तथा फारसी मदरसे अथवा माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त स्कूलों, उसके बाद वित्तविहीन स्कूलों और सबसे अंत में सीबीएसई अथवा आईसीएससी बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों के विद्यार्थियों को टैबलेट या लैपटाप दिया जाएगा.
पत्र में वर्णित दिशानिर्देशों के मुताबिक इस साल 10वीं कक्षा पास करके 11वीं में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं की सूची माध्यमिक शिक्षा परिषद के मान्यता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाचार्य द्वारा बनायी जाएगी, जिसे सम्बन्धित जिला विद्यालय निरीक्षक को उपलब्ध कराया जाएगा.
जिला विद्यालय निरीक्षक अपने जिले की तहसीलवार सूची संकलित करके उसे सम्बन्धित मुख्य विकास अधिकारी अथवा नामित अपर जिलाधिकारी को उपलब्ध कराएंगे, जो उसे माध्यमिक शिक्षा निदेशक को प्रेषित करेंगे. उसके बाद उस सूची को उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रानिक कारपोरेशन तथा विशेष परियोजना क्रियान्वयन इकाई को भेजा जाएगा.

यूपी के सभी थाने होंगे डिजिटल, घर बैठे कर सकेंगे शिकायत

Thursday 5 July 2012

लखनऊ| उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार की 113.78 करोड़ रुपये की परियोजना 2014 तक पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी, जिसके तहत सभी थानों का कम्प्यूटरीकरण कराया जाएगा।
क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम परियोजना की राज्य समिति बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने कहा कि इस परियोजना के अंतर्गत प्रदेश के समस्त पुलिस थानों एवं पुलिस कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण कर आपस में नेटवर्क के माध्यम से जोड़ा जाएगा। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए लगभग 62,420 पुलिसकर्मियों को कम्प्यूटर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि परियोजना के अंतर्गत विगत 10 वर्षो का डाटा डिजिटाइज भी कराया जाएगा। इस परियोजना से आमजन को घर से ही शिकायत दर्ज करने की सुविधा मिलने के साथ-साथ अपराध एवं अपराधियों के बारे में गोपनीय सूचनाएं कम्प्यूटर के माध्यम से उपलब्ध होगी।
उस्मानी ने बताया कि प्रत्येक शिकायतकर्ता को एक यूनिक कोड रेलवे पीएनआर की तरह दिया जाएगा। उस कोड के माध्यम से वह अपनी शिकायत पर हुई कार्रवाई या जांच की प्रगति की जानकारी समय-समय पर प्राप्त कर सकेगा।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना में चरित्र सत्यापन, शस्त्र लाइसेंस, धरना-प्रदर्शन की अनुमति के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की व्यवस्था होगी। डाटा फीडिंग थाने स्तर पर होगी और शिकायतकर्ता को प्राथमिकी की कम्प्यूटरीकृत प्रतिलिपि भी प्राप्त होगी।
मुख्य सचिव ने बताया कि परियोजना के तहत समूचे देश की पुलिस एजेंसियों का एक बृहद नेटवर्क तैयार कर सॉफ्टवेयर के माध्यम से सूचनाओं को बृहद डाटाबेस में एकत्र कर आदान-प्रदान करने की योजना है। वरिष्ठ अधिकारी पुलिस स्टेशनों एवं विवेचनाओं की ऑनलाइन निगरानी भी कर सकेंगे।


यशवंत जी की गिरफ्तारी का झूठा ताना बाना बुना है पुलिस ने

यशवंत जी मेरे और एक अन्य साथी के साथ मयूर विहार स्थित अपने मकान से दोपहर में लगभग तीन बजे के करीब नोएडा के लिए रवाना हुए थे। वहां से हम सीधे सेक्टर-63 स्थित समाचार प्लस चैनल के कार्यालय गए थे। लगभग एक घंटे से कुछ अधिक समय हमने वहां बिताया। इसके बाद जैसे ही हम वहां से कार में बैठकर रवाना हुए, सामने से पुलिस की दो गाड़ियों ने हमारा रास्ता रोक लिया। आधा दर्जन से अधिक पुलिस वालों ने कार को दौड़कर चारों तरफ से घेर लिया और दरवाजे नहीं खोलने दिए। पुलिस ने पूरी तरह से गुंडागर्दी दिखाते हुए कार की चाबी अपने कब्जे में ले ली।

पुलिस बल में मौजूद एक व्यक्ति ने यशवंत से उनका नाम पूछा और उन्हें बाहर आने को कहा। यशवंत जी ने इस मौके पर पूरी तरह से संयमित रहते हुए कोई विरोध नहीं जताया, उनका कहना था कि पहले बात की जानकारी ले ली जाए। इस दौरान समाचार प्लस से भाई उमेश जी भी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने पुलिस वालों को रोककर यशवंत जी को गिरफ्तार करने का कारण जानना चाहा तो पुलिस वाले तैश में आ गए और अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने लगे। इसी बीच पुलिस दल में शामिल दो-तीन लोगों ने रिवाल्वर व पिस्टल भी लहराई।

पुलिस बल की धक्काशाही के चलते मौके पर ना तो यशवंत जी की गिरफ्तारी की वजह बताई गई और ना ही उन्हें कहां ले जाया जा रहा यह बताया गया। इसके बाद उमेश जी ने अपनी गाड़ी निकालकर पुलिस वाहन का पीछा करने का प्रयास भी किया लेकिन सफल नहीं हो सके। लगभग तीन घंटे तक पुलिस के आला अधिकारियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से पूछताछ के बावजूद कोई यशवंत जी की गिरफ्तारी के बारे में कुछ भी बताने को तैयार नहीं था। रात में उमेश जी से गिरफ्तारी के बारे में बताया और उनके कुशल होने की बात कही।

इस मामले में गिरफ्तारी के लिए जिस तरह से पुलिस बल ने योजना बनाई थी, उससे साफ है कि यशवंत जी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने पूरा जाल बिछा रखा था। यदि उन पर लगे आरोपों में गंभीरता होती तो पुलिस उन्हें दिल्ली स्थित उनके निवास से भी गिरफ्तार कर सकती थी। इस मामले में सच्चाई तो खैर देर सवेर सामने आ जाएगी। बहरहाल पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी के लिए जो नाटक अदालत के सामने पेश किया गया है अदालत में वह दो मिन्ट भी नहीं ठहर पाएगा, इसके लिए सभी आवश्यक दस्तावेज मेरे पास मौजूद हैं।

राकेश शर्मा - 94677-66607

साभार: Bhadas4Media.com

ख़बरदार लडकियों - अकेली जाती हैं तो

Wednesday 4 July 2012

लाइव यूथ Times की एक जरुरी सुचना
लाइव यूथ Times अपने सभी पाठकों को एक जरुरी सुचन देना चाह रहा है , कृपया इस सुचना पर तुरंत गौर फरमाएं, और सावधान हो जाये, ये जरुरी सुचना उन सभी महिलाओं, छात्राओं के लिए है जो स्कुल, कॉलेज, बाज़ार के लिए अकेली जाती हैं,
अगर आपको कोई छोटा बच्चा रोता हुआ मिले और आपको कोई पर्ची दिखाए और बोले की मैं गुम हो गया हूँ और मुझे इस पते पे पंहुचा दे, तो सावधान, वो बच्चा किसी गैंग का हिस्सा हो सकता है जो आपको किडनेप कर सकता है, और आपको एक गन्दी दलदल में धकेल सकता हैं, ये काम आजकल महानगरो में बहुत ज्यादा हो रहे हैं, अगर आपको ऐसा संदिग्ध बच्चा दिखाई दे तो इसकी सुचना अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में दें या १०० नम्बर पे तुरंत कॉल करके इस बाबत जानकारी दें, थोड़ी सी सावधानी आपके लिए बहुत कारगर होगी!
ज्ञात हो देश में बच्चों और महिलायों के लापता होने की घटनाएं खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है और सरकार के आंकडों को देखें तो पाएंगे कि 2008 से 2010 के बीच एक लाख से अधिक बच्चे गायब हो गए।
इनमें से अधिकांश बच्चे मानव तस्करी का शिकार बने, उन्हें बंधुआ मजदूर बनाया गया या फिर जिस्मफरोशी में धकेल दिया गया। एक अधिकारी ने बताया कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आंक़डों के मुताबिक 2008 से 2010 के बीच देश के 392 जिलों से एक लाख 17 हजार 480 बच्चे लापता हो गए। पश्चिम बंगाल में बच्चों के लापता होने की सबसे अधिक घटनाएं हुईं।
बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में इस तरह की घटनाएं ज्यादा पायी गईं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और देश के अन्य महानगरों में भी भारी संख्या में बच्चे लापता हुए। कर्नाटक में 2008 के दौरान 99 लडकियों के लापता होने की खबर है।
यह आंकडा 2010 में बढकर 130 हो गया। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा देश भर से लापता होने वाले बच्चों को लेकर मुहैया कराये गए आंकडे भी यही रूझान दर्शाते हैं। कुछ बच्चे घर से भागते हैं लेकिन अधिकांश मानव तस्करी के संगठित गिरोहों के हत्थे चढ जाते हैं। बडे शहरों में इन बच्चों को बंधुआ मजदूर या भीख मांगने वाले रैकेट में लगा दिया जाता है। कुछ को जिस्मफरोशी में लगाया जाता है जबकि कुछ अन्य का अपहरण मानव अंग बेचने के लिए किया जाता है।
लाइव यूथ Times की मुहीम

डॉक्टरों व छात्रों ने माँगा हक़ मिली लाठियां

Monday 2 July 2012


लखनऊ| अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे डॉक्टरों व छात्रों की पुलिस से हुई झड़प के बाद जमकर लाठीचार्ज व पथराव हुआ। लविवि के न्यू कैंपस व विधान भवन के समक्ष स्थित धरना स्थल पर हुए इन हंगामों के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए। वहीं विधान भवन के समक्ष डॉक्टरों ने जिस तरह महिला सिपाही शिवकुमारी को पीटा व उनसे अभद्रता की उसने डॉक्टरों की प्रतिष्ठा को धूमिल भी कर दिया। विधान भवन के सामने घंटों जाम लगा रहा। बाद में आरएएफ के पहुंचने पर हालात काबू में आ सके।
आयुर्वेदिक व यूनानी डॉक्टरों ने दो दिन पूर्व एलोपैथिक द
वाएं लिखने का अधिकार दिए जाने की मांग को लेकर धरना दिया था। अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सोमवार सुबह करीब तीन हजार डॉक्टर धरना स्थल पर इकट्ठा हो गए थे। दोपहर करीब डेढ़ बजे नमाज अदा करने के बाद सैकड़ों डॉक्टर अपनी मांग को लेकर सड़क पर आ गए। विधान भवन के समक्ष पहुंचकर कुछ डॉक्टरों ने हंगामा शुरू कर दिया व एक पुलिसकर्मी से मारपीट कर दी। इस पर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने लाठीचार्ज कर डॉक्टरों को खदेड़ा। इस बीच कुछ डॉक्टरों ने विधान भवन गेट नंबर एक के पास तैनात महिला सिपाही शिवकुमार से मारपीट व अभद्रता की। इसके बाद घंटों हंगामा चलता रहा। डॉक्टरों ने एसएसआइ हजरतगंज दिनेश सिंह व दारोगा विपिन सिंह के साथ मारपीट कर उन्हें भी घायल कर दिया, जबकि 12 से अधिक डॉक्टर भी गंभीर रूप से चोटिल हुए। इनमें छह डॉक्टरों को सिविल अस्पताल ले जाया गया। इनमें से दो बिना सूचना दिए (लामा) कहीं चले गए। इधर, डॉक्टरों ने सड़क पर करीब 5:30 बजे नमाज पढ़ी। बाद में आरएएफ के पहुंचने पर डॉ

क्टरों को धरना स्थल के भीतर किया गया। एडीएम पूर्वी आरपी सिंह के मुताबिक डॉक्टरों ने शपथ पत्र देकर शांतिपूर्ण ढंग से धरना देने की बात कही थी, लेकिन डॉक्टरों ने धरना स्थल के गेट को धक्का देकर उसकी चेन तोड़ दी व सड़क पर आ गए। विधान भवन की दीवार से भीतर फांदने का प्रयास करने लगे। रोकने पर डॉक्टरों ने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट शुरू कर दी। जाम लगाकर राहगीरों से भी अभद्रता की। दूसरी ओर सीतापुर रोड स्थित लविवि के न्यू कैंपस में सोमवार को एलएलबी व बीसीए की काउंसिलिंग हो रही थी। तभी करीब 11 बजे कुछ छात्र नेताओं ने पहचान पत्र व जीरो फीस के मुद्दे को लेकर काउंसिलिंग भवन गेट
के पास नारेबाजी की व कुर्सियां तोड़ीं। पुलिस के पहुंचने पर हंगामा कर रहे छात्र भाग निकले, लेकिन करीब एक घंटे बाद करीब 70 छात्र वहां फिर पहुंचे और नारेबाजी करने लगे। इस पर प्राक्टोरियल बोर्ड के सदस्य उनसे वार्ता करने पहुंचे, लेकिन छात्रों ने अभद्रता शुरू कर दी। एक पुलिसकर्मी
के हस्तक्षेप करने पर छात्र उससे भिड़ गए। स्थिति बिगड़ती देख प्राक्टर ने छात्रों के हटाने के निर्देश दिए। इस पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। छात्रों ने बचाव में पथराव किया। इसमें छह छात्र, एक पुलिसकर्मी व गार्ड घायल हो गया। वहीं भगदड़ मचने से काउंसिलिंग में आए कई अभिभावक भी घायल हो गए। घायलों को बलरामपुर अस्पताल ले जाया गया। यहां भी छात्रों ने नारेबाजी की। जानकीपुरम पुलिस ने प्राक्टर की ओर से छात्र नेता अजीत यादव उर्फ सोनू, राहुल कुमार, विक्रेश प्रसाद, राहुल सिंह, वसीम अहमद, पिंटू, सूर्य प्रताप, उपेंद्र सिंह व अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है।
धीरेन्द्र अस्थाना की लाइव रिपोर्ट

डॉक्टरों व छात्रों ने माँगा हक़ मिली लाठियां


लखनऊ| अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे डॉक्टरों व छात्रों की पुलिस से हुई झड़प के बाद जमकर लाठीचार्ज व पथराव हुआ। लविवि के न्यू कैंपस व विधान भवन के समक्ष स्थित धरना स्थल पर हुए इन हंगामों के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए। वहीं विधान भवन के समक्ष डॉक्टरों ने जिस तरह महिला सिपाही शिवकुमारी को पीटा व उनसे अभद्रता की उसने डॉक्टरों की प्रतिष्ठा को धूमिल भी कर दिया। विधान भवन के सामने घंटों जाम लगा रहा। बाद में आरएएफ के पहुंचने पर हालात काबू में आ सके।
आयुर्वेदिक व यूनानी डॉक्टरों ने दो दिन पूर्व एलोपैथिक द
वाएं लिखने का अधिकार दिए जाने की मांग को लेकर धरना दिया था। अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सोमवार सुबह करीब तीन हजार डॉक्टर धरना स्थल पर इकट्ठा हो गए थे। दोपहर करीब डेढ़ बजे नमाज अदा करने के बाद सैकड़ों डॉक्टर अपनी मांग को लेकर सड़क पर आ गए। विधान भवन के समक्ष पहुंचकर कुछ डॉक्टरों ने हंगामा शुरू कर दिया व एक पुलिसकर्मी से मारपीट कर दी। इस पर वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने लाठीचार्ज कर डॉक्टरों को खदेड़ा। इस बीच कुछ डॉक्टरों ने विधान भवन गेट नंबर एक के पास तैनात महिला सिपाही शिवकुमार से मारपीट व अभद्रता की। इसके बाद घंटों हंगामा चलता रहा। डॉक्टरों ने एसएसआइ हजरतगंज दिनेश सिंह व दारोगा विपिन सिंह के साथ मारपीट कर उन्हें भी घायल कर दिया, जबकि 12 से अधिक डॉक्टर भी गंभीर रूप से चोटिल हुए। इनमें छह डॉक्टरों को सिविल अस्पताल ले जाया गया। इनमें से दो बिना सूचना दिए (लामा) कहीं चले गए। इधर, डॉक्टरों ने सड़क पर करीब 5:30 बजे नमाज पढ़ी। बाद में आरएएफ के पहुंचने पर डॉ

क्टरों को धरना स्थल के भीतर किया गया। एडीएम पूर्वी आरपी सिंह के मुताबिक डॉक्टरों ने शपथ पत्र देकर शांतिपूर्ण ढंग से धरना देने की बात कही थी, लेकिन डॉक्टरों ने धरना स्थल के गेट को धक्का देकर उसकी चेन तोड़ दी व सड़क पर आ गए। विधान भवन की दीवार से भीतर फांदने का प्रयास करने लगे। रोकने पर डॉक्टरों ने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट शुरू कर दी। जाम लगाकर राहगीरों से भी अभद्रता की। दूसरी ओर सीतापुर रोड स्थित लविवि के न्यू कैंपस में सोमवार को एलएलबी व बीसीए की काउंसिलिंग हो रही थी। तभी करीब 11 बजे कुछ छात्र नेताओं ने पहचान पत्र व जीरो फीस के मुद्दे को लेकर काउंसिलिंग भवन गेट
के पास नारेबाजी की व कुर्सियां तोड़ीं। पुलिस के पहुंचने पर हंगामा कर रहे छात्र भाग निकले, लेकिन करीब एक घंटे बाद करीब 70 छात्र वहां फिर पहुंचे और नारेबाजी करने लगे। इस पर प्राक्टोरियल बोर्ड के सदस्य उनसे वार्ता करने पहुंचे, लेकिन छात्रों ने अभद्रता शुरू कर दी। एक पुलिसकर्मी
के हस्तक्षेप करने पर छात्र उससे भिड़ गए। स्थिति बिगड़ती देख प्राक्टर ने छात्रों के हटाने के निर्देश दिए। इस पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। छात्रों ने बचाव में पथराव किया। इसमें छह छात्र, एक पुलिसकर्मी व गार्ड घायल हो गया। वहीं भगदड़ मचने से काउंसिलिंग में आए कई अभिभावक भी घायल हो गए। घायलों को बलरामपुर अस्पताल ले जाया गया। यहां भी छात्रों ने नारेबाजी की। जानकीपुरम पुलिस ने प्राक्टर की ओर से छात्र नेता अजीत यादव उर्फ सोनू, राहुल कुमार, विक्रेश प्रसाद, राहुल सिंह, वसीम अहमद, पिंटू, सूर्य प्रताप, उपेंद्र सिंह व अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है।
धीरेन्द्र अस्थाना की लाइव रिपोर्ट

अखिलेश की भड़ास के आगे बेबस भड़ास4मीडिया के संचालक


bharash4media-yashvant-singhपत्रकार भड़ास4मीडिया के संचालक यशवंत सिंह को अखिलेश सरकार ने भेजा जेल

अभी -अभी खबर आई है कि साक्षी जोशी द्वारा दर्ज करवाए गए झूठे मामले में भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह की जमानत की अर्जी गौतमबुद्ध नगर के सुरजपुर कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी ए बी सिंह ने खारिज कर दी । यशवंत सिंह को डासना जेल भेज दिया गया । वस्तुत: यह मुकदमा टीवी एवं प्रिंट मीडिया क्षेत्र में अधिकार जमाये कारपोरेट घरानो और नई मीडिया यानी वेब मीडिया के बीच टकराव का नतीजा है । हालिया समय मे वेब मीडिया ने पुरी दुनिया में अपनी निष्पक्षता और बेबाकी के कारण एक अलग पहचान कायम की है । मीडिया के सभी रुपों में मात्र वेब न्यूज पोर्टल हीं हैं जो एक दुसरे की खामियों को भी उजागर करते हैं । किसी भी चैनल पर दुसरे चैनल की खामिया तो दूर रही , नाम तक नही दिखाया जाता । वही हाल अखबारों का है। अखबार प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन आफ़ बुक एक्ट 1867 की धाराओं का रोज उल्लंघन करते हैं लेकिन उनके उपर कोई कार्रवाई नही होती है ठीक उसी प्रकार टीवी चैनल ड्रग एंड मैजिक रिमेडी ( ओबजेकशनेबल एडवर्जटाईजमेंट ) एक्ट 1954 की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करते हुये भ्रामक तथा चमत्कार दिखाने वाले अंधविश्वास को बढावा देने वाले विज्ञापन प्रकाशित करते हैं, परन्तु उनके उपर कोई कार्रवाई नही होती है ।

हालिया समय में वेब मीडिया ने अपनी निष्पक्षता और तथ्यपूर्ण खबरो के लिये प्रिंट मीडिया तथा टीवी चैनलो से इतर अपना स्थान बनाया है वही टीवी चैनलों की विश्वसनियता मे भी गिरावट आई है । टीवी चैनल तथा अखबार सिंडिकेट की तरह काम करते हैं । कोई भी टीवी चैनल या अखबार दुसरे टीवी चैनल या अखबार की गलती को नही प्रकाशित करता जबकि वेब मीडिया अपनी आलोचना को भी अपने पोर्टल पर प्रकाशित करते हैं । दुनिया के अंदर आ रहे बदलाव मे भी वेब पोर्ट्लों का सबसे बडा योगदान रहा है । चाहे मिस्त्र का सता परिवर्तन हो या अन्ना के आंदोलन पर सार्थक बहस की शुरुआत. निर्मल बाबा के विज्ञापन जब इन टी वी चैनल्स पर धड़ले से दिखाए जा रहे थे और देश की जनता से इन टी वी चैनल वालों की मिलीभगत के कारण सरे आम अरबों रुपये की ठगी हो रही थी तो निर्मलजीत नरूला की असलियत वेब मीडिया (मीडिया दरबार) ही सामने लाया था । अमेरिका का अक्यूपाई वाल स्ट्रीट आंदोलन वेब मीडिया की ताकत का सबसे बडा उदाहरण है । जहां टीवी चैनलो ने तथा अखबारो ने इस आंदोलन को कोई अहमियत नही दी , वहीं वेब मीडिया ने इसे पुरी दुनिया मे फ़ैलाने का काम किया । वेब मीडिया ने न्यूज चैनलों के पाखंड तथा अखबारो की कायरता एवं चटुकारिता को भी उजागर करने का कार्य किया है और यही कारण है कि आज यह टीवी तथा अखबारो का सबसे बडा दुश्मन है । वैसे भी एक सर्वे में यह बताया गया है कि आनेवाले 2040 तक अखबारों का कोई अस्तित्व नही रहेगा । वेब मीडिया ने टीवी तथा प्रिंट मीडिया के पाखंड तथा गलत कार्यो को प्रकाशित करने का कार्य किया है । इंडिया टीवी पर आने वाले अंधविश्वास को बढावा देने वाले विज्ञापनों की आलोचना हमेशा भडास पर आई है उसी का परिणाम है की बदले की भावना से प्रेरित होकर यशवंत सिंह के उपर यह झुठा मुकदमा किया गया है । वेब मीडिया ने भी इसे धर्म युद्ध के रुप मे लडने का निश्चय किया है । इस धर्म युद्ध में एक तरफ़ सत्य पर कायम वेब मीडिया है तो दुसरी तरफ़ अधर्म की लडाई लडने वाली कौरव सेना के रुप में शोषणकारी टीवी चैनल हैं । हम इस युद्ध को अंजाम तक पहुंचायेंगे । टीवी चैनलो को अपने उस दो नंबर के भुगतान का हिसाब न्यायालय में देना होगा जो वह केबल वालो को चुकाते हैं उनका चैनल दिखाने के लिये । यह काला धन टीवी चैनल वाले चुकाते है और इसके बारे मे टीवी चैनल के हीं नामी गिरामी पत्रकार पूण्य प्रसून वाजपेयी ने भी खुब लिखा है ।

आप जानते हैं, सोलह संस्कार क्यों बनाए गए !

Sunday 1 July 2012

हमारे पूर्वजों ने हर काम बहुत सोच-समझकर किया है। जैसे जीवन का चार आश्रम में विभाजन, समाज का चार वर्णो में वर्गीकरण, और सोलह संस्कार को अनिवार्य किया जाना दरअसल हमारे यहां हर परंपरा बनाने के पीछे कोई गहरी सोच छूपी है। सोलह संस्कार बनाने के पीछे भी हमारे पूर्वजों की गहरी सोच थी तो आइए जानते हैं कि जीवन में इन सोलह संस्कारो को अनिवार्य बनाए जाने का क्या कारण था?
गर्भाधान संस्कार- यह ऐसा संस्कार है जिससे हमें योग्य, गुणवान और आदर्श संतान प्राप्त होती है। शास्त्रों में मनचाही संतान के लिए गर्भधारण किस
पुंसवन संस्कार- यह संस्कार किया जाता है। पुंसवन संस्कार के दो प्रमुख लाभ- पुत्र प्राप्ति और स्वस्थ, सुंदर गुणवान संतान है।
सीमन्तोन्नयन संस्कार- यह संस्कार गर्भ के चौथे, छठवें और आठवें महीने में किया जाता है। इस समय गर्भ में पल रहा बच्च सीखने के काबिल हो जाता है। उसमें अच्छे गुण, स्वभाव और कर्म आएं, इसके लिए मां उसी प्रकार आचार-विचार, रहन-सहन और व्यवहार करती है।
जातकर्म संस्कार- बालक का जन्म होते ही इस संस्कार को करने से गर्भस्त्रावजन्य दोष दूर होते हैं।
नामकरण संस्कार- जन्म के बाद 11वें या सौवें दिन नामकरण संस्कार किया जाता है। ब्राह्मण द्वारा ज्योतिष आधार पर बच्चे का नाम तय किया जाता है।
निष्क्रमण संस्कार- निष्क्रमण का अर्थ है बाहर निकालना। जन्म के चौथे महीने में यह संस्कार किया जाता है। हमारा शरीर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश जिन्हें पंचभूत कहा जाता है, से बना है। इसलिए पिता इन देवताओं से बच्चे के कल्याण की प्रार्थना करते हैं।
अन्नप्राशन संस्कार- यह संस्कार बच्चे के दांत निकलने के समय अर्थात 6-7 महीने की उम्र में किया जाता है। इस संस्कार के बाद बच्चे को अन्न खिलाने की शुरुआत हो जाती है।
मुंडन संस्कार- बच्चे की उम्र के पहले वर्ष के अंत में या तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष के पूर्ण होने पर बच्चे के बाल उतारे जाते हैं चूड़ाकर्म संस्कार कहा जाता है। इससे बच्चे का सिर मजबूत होता है तथा बुद्धि तेज होती है।
कर्णवेध संस्कार- इसका अर्थ है- कान छेदना। परंपरा में कान और नाक छेदे जाते थे। इसके दो कारण हैं, एक- आभूषण पहनने के लिए। दूसरा- कान छेदने से एक्यूपंक्चर होता है। इससे मस्तिष्क तक जाने वाली नसों में रक्त का प्रवाह ठीक होता है।
उपनयन संस्कार- उप यानी पास और नयन यानी ले जाना। गुरु के पास ले जाने का अर्थ है उपनयन संस्कार।आज भी यह परंपरा है। जनेऊ में तीन सूत्र होते हैं। ये तीन देवता- ब्रह्म, विष्णु, महेश के प्रतीक हैं।
विद्यारंभ संस्कार- जीवन को सकारात्मक बनाने के लिए शिक्षा जरूरी है। शिक्षा का शुरू होना ही विद्यारंभ संस्कार है। गुरु के आश्रम में भेजने के पहले अभिभावक अपने पुत्र को अनुशासन के साथ आश्रम में रहने की सीख देते हुए भेजते थे।
केशांत संस्कार- केशांत संस्कार अर्थ है केश यानी बालों का अंत करना, उन्हें समाप्त करना। विद्या अध्ययन से पूर्व भी केशांत किया जाता है। मान्यता है गर्भ से बाहर आने के बाद बालक के सिर पर माता-पिता के दिए बाल ही रहते हैं। इन्हें काटने से शुद्धि होती है। शिक्षा प्राप्ति के पहले शुद्धि जरूरी है, ताकि मस्तिष्क ठीक दिशा में काम करें।
समावर्तन संस्कार- समावर्तन संस्कार अर्थ है फिर से लौटना। आश्रम में शिक्षा प्राप्ति के बाद ब्रह्मचारी को फिर दीन-दुनिया में लाने के लिए यह संस्कार किया जाता था। इसका आशय है ब्रह्मचारी को मनोवैज्ञानिक रूप से जीवन के संघर्षो के लिए तैयार हैं।
विवाह संस्कार - यह धर्म का साधन है। दोनों साथ रहकर धर्म के पालन के संकल्प के साथ विवाह करते हैं। विवाह के द्वारा सृष्टि के विकास में योगदान दिया जाता है। इसी से व्यक्ति पितृऋण से मुक्त होता है।
अंत्येष्टी संस्कार - अंत्येष्टि संस्कार इसका अर्थ है अंतिम यज्ञ। आज भी शवयात्रा के आगे घर से अग्नि जलाकर ले जाई जाती है। इसी से चिता जलाई जाती है। आशय है विवाह के बाद व्यक्ति ने जो अग्नि घर में जलाई थी उसी से उसके अंतिम यज्ञ की अग्नि जलाई जाती है। इससे पर्यावरण की रक्षा होती है।

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