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जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मकाम..

Wednesday 18 July 2012


उदयपुर। उदयसागर की जलराशि में हेमा मालिनी के उभरते प्रतिबिम्ब को देखने पर शुरू हुआ फिल्म राजपूत का गीत मेरे संग संग आया… तेरी यादों का मेला.. आज बहुत याद आ रहा है। जिंदगी की जितनी परिभाषाएं गीतों के माध्‍यम से जितनी राजेश खन्‍ना ने दी, शायद उतनी कोई नहीं दे पाया।

इन पर जिन्दगी के नाम से कई गीत फिल्माये जाकर जीने का नया फलसफा दे दिया। जिन्दगी.. कैसी है पहेली ये हाय… जिंदगी का सफर, है ये कैसा सफर, जिन्दगी.. एक सफर है सुहाना…, जिन्दगी के सफर में गुजर जाते हैं वो मकाम… जिन्द गी प्यार का गीत है… सहित जिन्दगी पर आधारित ऐसे कई गीत हैं जिन्होंने आदमी को जिन्‍दगी की हकीकत से वाकिफ करा दिया। उनके गीतों को हर व्यक्ति अपनी जिन्दगी में एक न एक बार गुनगुनाता जरूर है।

फिल्म के हीरो बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना पर उदयपुर के समीप उदयसागर की तलहटी में फिल्माया गया था। जी करता है वापस जाऊं… जाकर तुझको साथ ले आऊं.. मैं यादों के इस मेले में कैसे रहूं अकेला… मेरे संग संग आया…। तेरी गली से जब मैं निकला.. सब कुछ देखा बदला बदला, जैसा अब है वैसा कब था… ये मौसम अलबेला…. मेरे संग संग…।
लेकिन ये सिर्फ अब यादें ही रह गईं हैं। बॉलीवुड के अधिकतर सितारे उदयपुर आ चुके हैं। भले ही एक बार या कई बार…। उदयपुर के साथ जुड़ी उनकी यादें भी अमिट हैं। आज वह रोमांटिक चेहरा बार बार हर किसी को याद आ रहा है। चाहे वह आनंद का बाबू मोशाय हो जिसने हर कलकत्तावासी को बाबू मोशाय का नाम दे दिया।
सुपरस्टा‍र को श्रद्धांजलि..

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