शाम करीब छह बजे बसपा सुप्रीमों व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की प्रतिमा को तोड़े जाने के विरोध में छात्रों का एक दल विधान सभा मार्ग पर पहुंचा और सरकार विरोधी नारे लगाने लगा। देखते ही देखते विधान सभा के सामने वरिष्ठ बसपा नेताओं का जमावड़ा लगने लगा। पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या, राज्यसभा सांसद ब्रजेश पाठक, जुगल किशोर, एमएलसी अरविंद त्रिपाठी उर्फ गुड्डू त्रिपाठी व इंतजार आब्दी सहित कई नेताओं और कार्यकर्ताओं का हुजूम विधान सभा मार्ग पर बैठकर गया और सरकार विरोधी नारे लगाने लगा। करीब दो घंटे तक आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहा। सभी ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए घटना को साजिश करार दिया। प्रदेश अध्यक्ष ने स्मारकों की सुरक्षा व्यवस्था फिर से बहाल करने और घटना से संबंधित लोगों के ऊपर सख्त कार्रवाई कर उन्हें जेल में भेजने की मांग की।
जाम की खबर मिलते ही विधान सभा मार्ग पर पुलिस व जिला प्रशासन के अधिकारियों का जमावड़ा लग गया। अधिकारियों के आश्वासन के बाद करीब आठ बजे नेताओं व कार्यकर्ता का हुजूम विधान सभा मार्ग से हटा। इसके बाद अधिकारियों ने राहत की सांस ली। करीब दो घंटे तक लगे जाम की वजह से वाहनों की लंबी कतारें लग गई। यातायात डायवर्जन के बावजूद लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।