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ख़बरदार लडकियों - अकेली जाती हैं तो

Wednesday 4 July 2012

लाइव यूथ Times की एक जरुरी सुचना
लाइव यूथ Times अपने सभी पाठकों को एक जरुरी सुचन देना चाह रहा है , कृपया इस सुचना पर तुरंत गौर फरमाएं, और सावधान हो जाये, ये जरुरी सुचना उन सभी महिलाओं, छात्राओं के लिए है जो स्कुल, कॉलेज, बाज़ार के लिए अकेली जाती हैं,
अगर आपको कोई छोटा बच्चा रोता हुआ मिले और आपको कोई पर्ची दिखाए और बोले की मैं गुम हो गया हूँ और मुझे इस पते पे पंहुचा दे, तो सावधान, वो बच्चा किसी गैंग का हिस्सा हो सकता है जो आपको किडनेप कर सकता है, और आपको एक गन्दी दलदल में धकेल सकता हैं, ये काम आजकल महानगरो में बहुत ज्यादा हो रहे हैं, अगर आपको ऐसा संदिग्ध बच्चा दिखाई दे तो इसकी सुचना अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में दें या १०० नम्बर पे तुरंत कॉल करके इस बाबत जानकारी दें, थोड़ी सी सावधानी आपके लिए बहुत कारगर होगी!
ज्ञात हो देश में बच्चों और महिलायों के लापता होने की घटनाएं खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है और सरकार के आंकडों को देखें तो पाएंगे कि 2008 से 2010 के बीच एक लाख से अधिक बच्चे गायब हो गए।
इनमें से अधिकांश बच्चे मानव तस्करी का शिकार बने, उन्हें बंधुआ मजदूर बनाया गया या फिर जिस्मफरोशी में धकेल दिया गया। एक अधिकारी ने बताया कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आंक़डों के मुताबिक 2008 से 2010 के बीच देश के 392 जिलों से एक लाख 17 हजार 480 बच्चे लापता हो गए। पश्चिम बंगाल में बच्चों के लापता होने की सबसे अधिक घटनाएं हुईं।
बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में इस तरह की घटनाएं ज्यादा पायी गईं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और देश के अन्य महानगरों में भी भारी संख्या में बच्चे लापता हुए। कर्नाटक में 2008 के दौरान 99 लडकियों के लापता होने की खबर है।
यह आंकडा 2010 में बढकर 130 हो गया। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा देश भर से लापता होने वाले बच्चों को लेकर मुहैया कराये गए आंकडे भी यही रूझान दर्शाते हैं। कुछ बच्चे घर से भागते हैं लेकिन अधिकांश मानव तस्करी के संगठित गिरोहों के हत्थे चढ जाते हैं। बडे शहरों में इन बच्चों को बंधुआ मजदूर या भीख मांगने वाले रैकेट में लगा दिया जाता है। कुछ को जिस्मफरोशी में लगाया जाता है जबकि कुछ अन्य का अपहरण मानव अंग बेचने के लिए किया जाता है।
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