यशवंत जी मेरे और एक अन्य साथी के साथ मयूर विहार स्थित अपने मकान से दोपहर में लगभग तीन बजे के करीब नोएडा के लिए रवाना हुए थे। वहां से हम सीधे सेक्टर-63 स्थित समाचार प्लस चैनल के कार्यालय गए थे। लगभग एक घंटे से कुछ अधिक समय हमने वहां बिताया। इसके बाद जैसे ही हम वहां से कार में बैठकर रवाना हुए, सामने से पुलिस की दो गाड़ियों ने हमारा रास्ता रोक लिया। आधा दर्जन से अधिक पुलिस वालों ने कार को दौड़कर चारों तरफ से घेर लिया और दरवाजे नहीं खोलने दिए। पुलिस ने पूरी तरह से गुंडागर्दी दिखाते हुए कार की चाबी अपने कब्जे में ले ली।
पुलिस बल में मौजूद एक व्यक्ति ने यशवंत से उनका नाम पूछा और उन्हें बाहर आने को कहा। यशवंत जी ने इस मौके पर पूरी तरह से संयमित रहते हुए कोई विरोध नहीं जताया, उनका कहना था कि पहले बात की जानकारी ले ली जाए। इस दौरान समाचार प्लस से भाई उमेश जी भी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने पुलिस वालों को रोककर यशवंत जी को गिरफ्तार करने का कारण जानना चाहा तो पुलिस वाले तैश में आ गए और अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने लगे। इसी बीच पुलिस दल में शामिल दो-तीन लोगों ने रिवाल्वर व पिस्टल भी लहराई।
पुलिस बल की धक्काशाही के चलते मौके पर ना तो यशवंत जी की गिरफ्तारी की वजह बताई गई और ना ही उन्हें कहां ले जाया जा रहा यह बताया गया। इसके बाद उमेश जी ने अपनी गाड़ी निकालकर पुलिस वाहन का पीछा करने का प्रयास भी किया लेकिन सफल नहीं हो सके। लगभग तीन घंटे तक पुलिस के आला अधिकारियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से पूछताछ के बावजूद कोई यशवंत जी की गिरफ्तारी के बारे में कुछ भी बताने को तैयार नहीं था। रात में उमेश जी से गिरफ्तारी के बारे में बताया और उनके कुशल होने की बात कही।
इस मामले में गिरफ्तारी के लिए जिस तरह से पुलिस बल ने योजना बनाई थी, उससे साफ है कि यशवंत जी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने पूरा जाल बिछा रखा था। यदि उन पर लगे आरोपों में गंभीरता होती तो पुलिस उन्हें दिल्ली स्थित उनके निवास से भी गिरफ्तार कर सकती थी। इस मामले में सच्चाई तो खैर देर सवेर सामने आ जाएगी। बहरहाल पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी के लिए जो नाटक अदालत के सामने पेश किया गया है अदालत में वह दो मिन्ट भी नहीं ठहर पाएगा, इसके लिए सभी आवश्यक दस्तावेज मेरे पास मौजूद हैं।
राकेश शर्मा - 94677-66607
साभार: Bhadas4Media.com