ओडिशा के सम्बलपुर जिले के भत्रा गाँव में हरिजनों के लगभग दो सौ परिवार रहते है. इस गाँव के लोग अपने काम पर जाने से पहले मंदिर में आकर अपने इष्ट देव से प्रार्थना करते है और प्रसाद ग्रहण करके अपने-अपने काम पर निकल जाते है. वैसे तो हर जगह लोग काम पर जाने के पहले अपने-अपने भगवान के मंदिर जाते है मगर इस गाँव की खासियत ये है कि इसके मंदिर में देवता के रूप में किसी भगवान की नहीं एक इंसान की पूजा होती है,यहाँ पूजा होती है महात्मा गांधी की. ये मंदिर संभवतः विश्व का एकमात्र मंदिर है जिसमेंगांधीजी को भगवान मानकर पूजा जाता है.
इस गांधीमंदिर की परिकल्पना भत्रा गांव के एक अबोध बालक अभिमन्यु कुमार के मन में आज़ादी के पहले आई थी.इस कल्पना को उस अबोध बालक ने बड़ा होकर पूरा कर दिखाया. अभिमन्यु जी की उम्र अब ८६ वर्ष है.गांधीवादी विचारधारा के बल पर वे लगातार ४ बार विधायक रहे.उनके भागीरथी प्रयत्नों से १९७४ में इस गांधी मंदिर का निर्माण पूरा हुआ.इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर अशोक स्तंभ है.मंदिर के ठीक सामने भारत मां की मूर्ति है जिसके दोनों ओर दो-दो सिंह और मोर हैं. मंदिर के गर्भगृह में महात्मागांधी की कांस्य की बनी लगभग साढ़े चार फीट लंबी मूर्ति का पूजन होता है.मंदिर के सबसे ऊपर भारत का राष्ट्रीय ध्वज सदा फहराता है. मंदिर में हर दिनं दो बार पूजा होती है और गांधीजी का प्रिय भजन दिन रात गूंजता रहता है.
रोजाना इस मंदिर में सैकड़ों लोग आते है. मदिर को अब मरम्मत एवं रंगाई पुताई की दरकार है. मंदिर के मुख्य पुजारी श्री कालिया बाग और मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री प्रमोद रंजन कुमार बताते है कि आर्थिक सहयोग के अभाव में ये काम ठप्प पड़ा है. उन्हें उम्मीद है कि ओडि़शा अथवा केंद्र की सरकार जल्द ही इस दिशा में कुछ करेगी.
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*धीरेन्द्र अस्थाना *
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