कमल तिवारी लखनऊ। चुनाव में भाजपा को भले ही जबरदस्त कामयाबी मिली है, पर पीस पार्टी व कौमी एकता दल ने भी एक-एक सीट से खाता खोल दिया है। कांग्रेस को पांच जोन में कामयाबी तो मिली है लेकिन निर्दलीयों पर जनता कुछ ज्यादा ही मेहरबान रही और सबसे ज्यादा 50 निर्दलीय नगर निगम सदन में पहुंच गये हैं। निर्दलीयों की संख्या में एकदम से इजाफा होने की एक बड़ी वजह सपा के चुनाव मैदान से बाहर होना भी है। बसपा तो पिछली बार भी अपने झण्डा-निशान पर चुनाव नहीं लड़ी थी, लेकिन बाद में कई निर्दलीय पार्षद सदन में बसपाई बन गये थे। नगर निगम सदन में किस दल का बहुमत रहेगा, यह अभी साफ नहीं कहा जा सकता है। निर्दलीय अपनी ताकत बरकरार रखते हैं या फिर दूसरे दलों का दामन थाम लेते हैं। यह देखने की बात है। भाजपा की ताकत तो पिछले चुनाव से बढ़ी है, लेकिन सदन में अभी भी वह बहुमत तक अपनी ताकत से नहीं पहुंच पायी है। उसकी सीटें 48 ही रह गयी हैं। परिणाम इस बार कुछ चौंकाने वाले रहे और पीस पार्टी तथा कौमी एकता दल को खाता खोलने में कामयाबी मिली। पीस पार्टी ने भवानी गंज में कामयाबी हासिल की। कौमी दल ने मौलवीगंज में जीती है। कांग्रेस की ताकत पिछले चुनाव से कम हो गयी है। पिछली बार कांग्रेस ने 22 सीटें हासिल की थी, लेकिन बाद में कुछ सदस्यों के दूसरे दलों में चले जाने के बाद उनकी संख्या कम हो गयी थी। इस बार तो सिर्फ 10 सीटों पर ही सिमट गयी है। ऐसे में सदन की 110 सीटों पर भाजपा पार्टी के रूप में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। उल्लेखनीय है कि इस बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने निकाय चुनाव से खुद को अलग रखा। नतीजतन पिछली बार तक सपा के झण्डा तले परचम फहराने वाले सभासद इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे और कामयाबी भी हासिल की है। बहुजन समाज पार्टी ने तो पिछली बार भी निकाय चुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे, लेकिन बाद में जीतने वाले कई निर्दल सभासद सदन में बसपाई हो गये थे। यही वजह है कि निर्दलीय सदस्यों की संख्या इस बार सदन में ज्यादा हो गयी है। भाजपा के जीते हैं 48 पार्षद कांग्रेस की घटी ताकत पीस पार्टी व कौमी एकता दल ने भी खोला खाता |
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*धीरेन्द्र अस्थाना *
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