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Wednesday 25 April 2012


आखिरकार खत्म हुई 109 दिनों की दहशत
युवा पत्रकार धीरेन्द्र अस्थाना लखनऊ अवधनामा से जुड़े है।
लखनऊ। जिसने भी सुना, वह रहमानखेड़ा चौकी की तरफ भागता नजर आ रहा था। हाथ में लाठी लिए हुए 60 वर्षीय रामनाथ भी अपने को रोक नहीं पाए थे और पिंजड़े में कैद टाइगर को देखने पास के गांव से पहुंच गए थे। 109 दिन से दहशत के माहौल में जी रहे रहमानखेड़ा और आसपास के गांव के निवासियों ने मंगलवार सुबह सूर्य की किरण फूटने के साथ ही चैन की सांस ली। खेतों में काम करने वालों के लिए टाइगर का पकड़ा जाना दो मायने रखता था। एक तो असुरक्षा का माहौल था तो इस माहौल में उनका रोजगार भी छिन गया था। केंद्रीय उपोष्ण संस्थान में भी बुधवार को चेहरे पर दहशत नजर नहीं आ रही थी। निदेशक से लेकर कर्मचारी तक ने राहत की सांस ली।
सुबह सात बजे टाइगर के पकड़े जाने की खबर जंगल में आग की तरफ फैल गई। टाइगर को देखने के लिए बच्चे, बूढ़े और महिलाएं भी घरों से निकल पड़े। बढ़ती भीड़ को देखते हुए रहमानखेड़ा के गेट को बंद कर दिया गया, लेकिन गांव वालों ने इसके लिए दूसरा रास्ता निकाल लिया और आठ बजे तक भीड़ का हुजूम नजर आने लगा था। सड़क पर एक पिंजड़े में रखा टाइगर भी होश में आ चुका था। भीड़ देखकर वो गुृर्राने लगा। इसके बाद पिंजड़े को काले कपड़े से ढक दिया गया। गुस्साएं बाघ को शांत करने के लिए उस पर लगातार पानी डाला जाता रहा। उधर, बेकाबू भीड़ को देखते हुए काकोरी थाने की पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन उसे बुलाने का मकसद हल नहीं हो सका। पुलिस वाले भी दर्शक की भूमिका निभा रहे थे। वन विभाग के अधिकारियों को डर था कि कहीं टाइगर खुद को घायल न कर ले और ऐसे में उसे सुरक्षित पकड़ने का मकसद खत्म हो जाएगा।
भीड़ को काबू करने के लिए तीनों हथिनी की मदद ली गई। हथिनी ने एक-एक हिस्से से लोगों को खदेड़ना शुरू किया, पर इसका भी कोई असर नहीं हुआ। यही कारण है कि जिस टाइगर की दहशत 109 दिनों से यहां के निवासी ङोल रहे थे, उसकी एक झलक पाने के लिए वे उतावले थे। जब टाइगर वाहन पर लदकर जाने लगा तो लोग वाहन पर चढ़ गए और गेट तक (करीब डेढ़ किलोमीटर) उसकी झलक पाने के लिए दौड़ लगाते रहे। गुस्साए लोगों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पथराव तक किया।
आम को हुआ नुकसान
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान का रहमान खेड़ा में शोध केंद्र है। यहां वर्तमान में आम, शहतूत, बेल लगे थे। बाघ की दहशत से बागों में कोई जा नहीं रहा था और आम की बौरों और नन्हें फलों को कीड़े नष्ट कर रहे थे। कीड़ों का प्रकोप रोकने के लिए दवा का छिड़काव भी नहीं हो पा रहा था। संस्थान में आम की अंबिका, अरूनिका, दशहरी, लंगड़ा, चौसा, आम्रपाली और मल्लिका जैसी प्रजातियों का उत्पादन और नई नस्ल के लिए शोध कार्य होता है। सात जनवरी से बाघ की इस क्षेत्र में दहशत थी। इस दहशत में शोध कार्य में लगे 46 वैज्ञानिक हाथ पर हाथ धरे बैंठे थे तो 300 कर्मचारी भी काम नहीं कर पा रहे थे। 132.5 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इस संस्थान में कई बार टाइगर नजर आ चुका था। संस्थान के निदेशक एस रविशंकर कहते हैं कि टाइगर के पकड़े जाने से काफी राहत हुई है। वह कहते हैं कि आम के पेड़ों में दवा का छिड़काव नहीं हो सका और सिर्फ पानी डालकर काम चलाया जाएगा।
शिकार में नहीं था दक्ष
उम्र करीब साढ़े चार वर्ष और लंबाई भी नौ फीट। विशेषज्ञ मानते हैं कि जंगल में यह टाइगर अपनी मां द्वारा किए गए शिकार से ही पेट भरता था और शिकार करने में वह दक्ष नहीं था। उसका व्यवहार भी जंगल के बाघ की तरह क्रूर नहीं था। यही कारण है कि स्थानीय लोगों से कई बार सामना होने के बाद भी टाइगर ने उन पर हमला नहीं किया। टाइगर मिशन में लगे वनाधिकारी डॉ. महेंद्र सिंह बताते हैं कि अमूमन टाइगर किसी नए स्थान पर बहुत दिन नहीं रुकता है लेकिन रहमानखेड़ा को टाइगर ने लंबे समय के लिए चुना।



आखिर क्‍या सच्‍चाई है निर्मल बाबा की?

Saturday 14 April 2012

धीरेन्द्र अस्थाना 
रायपुर में निर्मल बाबा के खिलाफ अन्धविश्वाश और ठगी को लेकर जाँच शुरू हो गयी है। एक व्यक्ति ने पुलिस को शिकायत की है कि टीवी पर निर्मल बाबा का विज्ञापन देखने के दौरान जो उपाय और विधियां वो बता रहे थे उस पर उसने अमल किया लेकिन उससे कोई फायदा नही हुआ। यही नहीं इस शक्स ने निर्मल बाबा पर उसकी धार्मिक आस्था पर ठेस लगाने का आरोप भी जड़ा है।
उस व्‍यक्ति ने बताया कि उसने अपने बैग से दस रूपये की नई गड्डियाँ निकालकर घर के लॉकर में रख दी, उस दौरान उसने निर्मल बाबा के द्वारा बताई जा रही सारी बातों का अनुसरण भी किया लेकिन रकम जस की तस रही। ना तो उसमें दुगनी वृद्धि हुई और ना ही चौगुनी, जैसा की बावा दावा कर रहे थे। यही नहीं बाबा के कहने पर उसने अपने घर से शिवलिंग भी निकालकर बाहर रख दिया लेकिन कोई असर नही हुआ।
चमत्कारी निर्मल बाबा के कथित चमत्कार पर काशी के विद्वानों और धर्म गुरुओं ने कहा की इनका चमत्कार जनता को ठगने और छलने बाला चमत्कार है, इन्हें तत्काल जेल में डाल देना चाहिये ताकि भोली भाली जनता को छलने और ठगने से बचाया जा सके।
लखनऊ के गोमतीनगर थाने में  दो बच्चों, तान्‍या (कक्षा बारह) और आदित्य (कक्षा दस) का मानना है कि निर्मल बाबा नाम से चर्चित धार्मिक गुरु द्वारा तमाम लुभावने वादों से आम आदमी को ललचाने का काम किया जा रहा है और एक व्यक्ति द्वारा देश के लाखों लोगों को धर्म का भय और झूठी महत्ता दिखा कर उन्हें बेवकूफ बना कर धोखाधड़ी की जा रही है।
इन दोनों बच्चों ने निर्मल बाबा के खिलाफ 417, 419, 420 तथा 508 आईपीसी में मुकदमे के लिए एक प्रार्थनापत्र थाना गोमतीनगर में स्वयं ले जा कर दिया है। गोमती नगर थाने मे निर्मल बाबा के खिलाफ शिकायत दर्ज हो गयी है। हालांकि अभीतक एफआईआर दर्ज नही की गयी है लेकिन बच्चों की शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू करने की बात कही है। ये दोनों य़ूपी कैडर के आईपीएस अमिताभ ठाकुर के बच्चे है और इनकी मां नूतन ठाकुर एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। इनका माना है कि बाबा समाज मे अंधविश्‍वास को बढ़ावा दे रहें हैं, लिहाजा इसपर अंकुश लगना चाहिये।
मध्य प्रदेश के नरसिंगपुर जिले में इन दिनों थर्ड आई निर्मल बाबा का प्रभाव पूरे इलाके में जोरों पर है. लोग धनवान होने और कृपा प्राप्त करने के लिए आतुर है बाबा का कहना है कि पैसा रखने वाले स्थान पर दस रुपये के नये नोट की गड्डी रखना चाहिए, भक्त नये नोटों की तलाश में लग गये है।
दूसरी बात बाबा का कहना है कि जेब में नया पर्स रखा करों और किसी से कहते हैं कि नया बेल्ट लगाया करों और मेरी फोटो पैसा रखने के स्थान पर रखो, तुम धनवान बन जाओगे लेकिन बाबा खुले दरबार से कहते हैं कि जो तुम्हारे पास पैसा आयेगा उसमें से दस प्रतिषत मेरे एकाउंट में डालना तभी फायदा होगा। अंधे भक्त बाबा के सभी आदेशों का पालन कर रहे है बड़ी तादाद में फोटो बिक रहीं है, लोग नये-नये पर्स और बेल्ट ले रहे है। क्या किसी की फोटो और नये पर्स बेल्ट लगाने से कोइ धनवान हो सकता है। अध्यात्म गुरु और लाखो भक्तो का आस्था का बिंदु बने निर्मल बाबा आज भले ही गुरु की उपाधि ले लिए है मगर यही निर्मल बाबा की कर्म भूमि झारखंड के गढ़वा जिला से भी जुड़ा हुआ है।
झारखंड के वरिष्ठ राजनेता इंदर सिंह नामधारी वैसे तो निर्मल बाबा के करीबी रिश्तेदार हैं लेकिन उनके कारनामों से जरा भी इत्तेफाक नहीं रखते। मीडिया दरबार से हुई बातचीत में नामधारी ने साफ कहा कि वे निजी तौर पर कई बार उन्हें जनता की भावनाओं से न खेलने की सलाह दे चुके हैं।
नामधारी ने स्वीकार किया कि निर्मल बाबा उनके सगे साले हैं। उन्होंने यह भी माना कि वे शुरुआती दिनों में निर्मल को अपना करीयर संवारने में खासी मदद कर चुके हैं। मीडिया दरबार को उन्होंने बताया कि उनके ससुर यानि निर्मल के पिता एस एस नरूला का काफी पहले देहांत हो चुका है और वे बेसहारा हुए निर्मल की मदद करने के लिए उसे अपने पास ले आए थे। निर्मल को कई छोटे-बड़े धंधों में सफलता नहीं मिली तो वह बाबा बन गया।
लेखक लखनऊ से प्रकाशित हो रहे हिंदी अवधनामा के युवा पत्रकार है, इनसे dheerendraasthana @gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है ।  

न्यूज़ चैनलों पर खबर चलने के बाद भक्तों की निर्मल बाबा पर TRP घटी


टीवी न्यूज़ चैनलों की TRP से अब निर्मल बाबा पर भक्तों की वैसी किरपा नहीं रही. पहले स्टार न्यूज़, फिर ज़ी न्यूज़ और उसके बाद आजतक पर निर्मल बाबा के खिलाफ ख़बरें दिखाने के कारण निर्मल बाबा का ग्राफ तेजी से गिर रहा है और साथ में उनपर हो रही धनवर्षा में भी कमी आयी है. इसके अलावा निर्मल बाबा के लिए मुश्किलें भी खड़ी हो गयी है.
झारखंड के अखबार ' प्रभात खबर ' के खुलासे के बाद बताया जा रहा है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर निर्मल बाबा की कमाई पर है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सूत्रों का कहना है कि विभाग उनकी कमाई और रिटर्न की जांच करेगा। अखबार ने दावा किया था कि निर्मल बाबा के दो बैंक खातों में सिर्फ इस साल अब तक 232 करोड़ रुपये जमा हुए हैं। हालाँकि निर्मल बाबा ने आजतक के इंटरव्यू में खुद अपनी सालाना आय 238 करोड़ के आस-पास बताई है.
nirmal baba प्रभात खबर ' का दावा है कि निर्मल बाबा के दो खाते हैं। एक निर्मल दरबार के नाम से ( जिसका नंबर टीवी पर चलता रहता है ) और दूसरा निर्मलजीत सिंह नरूला के नाम से। निर्मल दरबार के नाम से चलने वाले खाते में इस साल जनवरी से अब तक 109 करोड़ रुपये जमा हुए। उनके पर्सनल अकाउंट नंबर 1546000102129694 में अखबार के मुताबिक 4 जनवरी 2012 से 13 अप्रैल 2012 के बीच 123 करोड़ ( कुल 1,23,02,43,974) रुपये जमा हुए। खुद निर्मल बाबा ने भी एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में स्वीकार किया कि फर्जीवाड़े से बचने के लिए ही उन्होंने दो खाते रखे हैं। इसके अलावा बाबा के नाम 25 करोड़ फिक्स्ड डिपॉजिट भी हैं। निर्मल बाबा की आय के दो स्रोत हैं निबंधन शुल्क और दसवंद शुल्क। समागम में भाग लेने के लिए भक्तों से दो हजार रुपये प्रति व्यक्ति वसूला जाता है , जबकि दसवंद शुल्क का अर्थ आय का दसवां हिस्सा बाबा के पास जमा करना। यह राशि पूर्णिमा के पहले जमा करनी होती है। विवाद के बाद बाबा का सेंसेक्स गिरा निर्मल बाबा को लेकर जैसे - जैसे विवाद बढ़ता जा रहा है भक्तों की ' श्रद्धा ' भी उनमें घटती जा रही है। प्रभात खबर के मुताबिक , निर्मल दरबार के नाम से आईसीआईसीआई बैंक में खुले निर्मल बाबा के खाते ( संख्या 002-905-010-576) में शुक्रवार को सिर्फ 34 लाख जमा किए गए। पहले इस खाते में रोज़ औसतन एक करोड़ रुपये जमा किए जा रहे थे। पहले औसतन चार से साढ़े चार हजार लोग हर रोज निर्मल बाबा के खाते में राशि जमा कर रहे थे। शुक्रवार शाम पांच बजे तक देश भर के 1800 लोगों ने ही बाबा के आईसीआईसीआई बैंक खाते में राशि जमा की है।
निर्मल बाबा को लेकर जैसे - जैसे विवाद बढ़ता जा रहा है भक्तों की ' श्रद्धा ' भी उनमें घटती जा रही है। प्रभात खबर के मुताबिक , निर्मल दरबार के नाम से आईसीआईसीआई बैंक में खुले निर्मल बाबा के खाते ( संख्या 002-905-010-576) में शुक्रवार को सिर्फ 34 लाख जमा किए गए। पहले इस खाते में रोज़ औसतन एक करोड़ रुपये जमा किए जा रहे थे। पहले औसतन चार से साढ़े चार हजार लोग हर रोज निर्मल बाबा के खाते में राशि जमा कर रहे थे। शुक्रवार शाम पांच बजे तक देश भर के 1800 लोगों ने ही बाबा के आईसीआईसीआई बैंक खाते में राशि जमा की है।
बाबा की सफाई पूरे प्रकरण पर पहली बार बाबा ने शुक्रवार को चुप्पी तोड़ी। ' आज तक ' चैनल को दिए इंटरव्यू में निर्मल बाबा ने कहा , ' मेरे यहां किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है। मैं चुनौती देता हूं कि किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था से मेरे दावों की जांच करवाई जाए। मेरा टर्नओवर 85 करोड़ नहीं , बल्कि सालाना 235-238 करोड़ का है , जिसका मैं टैक्स चुकाता हूं। मैं इन पैसों से एक भव्य मंदिर बनवाना चाहता हूं। मैंने कोई ट्रस्ट नहीं बनाया है। फर्जीवाड़े से बचने के लिए मैं दो अकाउंट रखता हूं। ' निर्मल दरबार ' और ' निर्मलजीत सिंह नरूला ' के नाम चल रहे दो बैंक खाते मेरे हैं। ' नीलम कपूर के नाम पर बने ड्राफ्ट के सवाल पर निर्मल बाबा ने कहा कि नीलम कपूर से मैंने फ्लैट खरीदा था , इसलिए उनके नाम पर ड्राफ्ट बनवाया गया। निर्मलजीत सिंह नरूला से निर्मल बाबा बनने के सवाल पर उन्होंने कहा , ' मुझे निर्मलजीत सिंह नरूला से निर्मल बाबा बनाने में इंदर सिंह नामधारी का हाथ है। उन्होंने मेरी शुरू में मदद की थी। लेकिन बाद में झारखंड में मैं जिस मानसिक उत्पीड़न से गुजरा उसके बाद ही मैं निर्मल बाबा बन गया। ' निर्मल बाबा ने आरोपों के जवाब में कहा , ' मैंने कभी चमत्कार का दावा नहीं किया। मैं इसे कृपा कहता हूं। मैं अंधविश्वसा को तोड़ने वाला माना जाता हूं। यंत्र मंत्र तंत्र के पाखंड में फंसने वालों के खिलाफ हूं। ये कृपा पैसे से खरीदी नहीं जा सकती है। मेरे साथ लोग जुड़ते चले जा रहे हैं। मेरे ऊपर पहली कृपा पटियाला के समाना मंडी में हुई थी। मैं अपनी मां के साथ था। घर की छत गिर गई और मेरी बहने उसमें दब गईं। '

निर्मल बाबा की सच्चाई, भक्तो हो जाओ ख़बरदार

Sunday 8 April 2012


धीरेन्द्र अस्थाना 
यह जो निर्मल बाबा है वह मूल रूप से झारखण्ड का रहनेवाला है. निर्मल बाबा भले ही धर्म की धंधेबाजी के कारण अब चर्चा में आ रहा है लेकिन उसके एक रिश्तेदार झारखण्ड के ईमानदार और रसूखवाले नेताओं में गिने जाते हैं. निर्मल सिंह इन्हीं इंदर सिंह नामधारी का सगा साला है. यानी नामधारी की पत्नी मलविन्दर कौर का सगा भाई.
इसका असली नाम है निर्मलजीत सिंह नरुला .. इसने अपनी ठगी से कमाई हुयी दौलत से दिल्ली के पोश ग्रेटर कैलास मे ई ब्लोक मे चार सौ करोड का बंगला खरीदा है ...
निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा पहुंचे नामधारी झारखण्ड के दो बार विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उनके सामने निर्मल का नाम लेने पर कई राज खुलते हैं. मीडियादरबार के संचालक धीरज भारद्वाज निर्मल बाबा की खोजबीन के दौरान नामधारी से संपर्क करने में कामयाब हो गये और नामधारी ने भी बिना लाग लपेट के स्वीकार कर लिया कि वह उनका सगा साला है, लेकिन उसका जो कुछ भी काला है उससे उनका कोई लेना देना नहीं है. इंदर सिंह नामधारी कहते हैं कि वे खुद कई बार निर्मल को सलाह दे चुके हैं कि वह लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करे, लेकिन वह सुनता नहीं है.
नामधारी स्वीकार करते हैं कि शुरुआती दिनों में वे खुद निर्मल को अपना कैरीयर संवारने में खासी मदद कर चुके हैं। धीरज भारद्वाज से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनके ससुर यानी निर्मल के पिता दिलीप सिंह बग्गा का काफी पहले देहांत हो चुका है और वे बेसहारा हुए निर्मल की मदद करने के लिए उसे अपने पास ले आए थे। निर्मल को कई छोटे-बड़े धंधों में सफलता नहीं मिली तो वह बाबा बन गया।
जब धीरज भारद्वाज ने नामधारी से निर्मल बाबा के विचारों और चमत्कारों के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि वे इससे जरा भी इत्तेफाक़ नहीं रखते। उन्होंने कहा कि वे विज्ञान के छात्र रहे हैं तथा इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी कर चुके हैं इसलिए ऐसे किसी भी चमत्कार पर भरोसा नहीं करते। इसके अलावा उनका धर्म भी इस तरह की बातें मानने का पक्षधर नहीं है।
”सिख धर्म के धर्मग्रथों में तो साफ कहा गया है कि करामात कहर का नाम है। इसका मतलब हुआ कि जो भी करामात कर अपनी शक्तियां दिखाने की कोशिश करता है वो धर्म के खिलाफ़ काम कर रहा है। निर्मल को मैंने कई दफ़ा ये बात समझाने की कोशिश भी की, लेकिन उसका लक्ष्य कुछ और ही है। मैं क्या कर सकता हूं?” नामधारी ने सवाल किया।
उन्होंने माना कि निर्मल अपने तथाकथित चमत्कारों से जनता से पैसे वसूलने के ‘गलत खेल’ में लगे हुए हैं जो विज्ञान और धर्म किसी भी कसौटी पर जायज़ नही ठहराया जा सकता।

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