लखनऊ |धीरेन्द्र अस्थाना
मकर संक्रांति जो कि हर बार 14 जनवरी को मनाई जाती थी लेकिन इस बार 61 साल बाद दुर्लभ शुभ योगों का संयोग बन रहा है कि इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी दिन रविवार को मनाई जाएगी| संक्रांति 14 जनवरी की रात 12:58 से लगेगी। इसलिए मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी, रविवार को रहेगा। सूर्य का राशि परिवर्तन अद्र्धरात्रि में हो रहा है इसलिए सूर्योदय से पर्व काल शुरु होगा।
इस दिन देव दर्शन, स्नान, दान के लिए 10 घंटे का पुण्यकाल रहेगा और सूर्य उपासना से सौ गुना अधिक फल मिलेगा। मकर संक्रांति पर्व से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। ग्रहों के राजा सूर्यदेव की अगवानी का महापर्व है मकर संक्रांति| भारतीय ज्योतिष में 12 राशियों में से एक मकर राशि में सूर्य के प्रवेश को मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति शिशिर ऋतु की समाप्ति और वसंत के आगमन का प्रतीक माना जाता है।
हमारे ज्योतिषाचार्य आचार्य विजय कुमार ने बताया है कि श्रद्धालुओं को एक साथ इन शुभ योगों का लाभ मिलेगा। यह आकाशीय सितारों के अनुसार दुर्लभ और श्रेष्ठ है। लंबे अरसे से मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती रही है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण होता है। सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही शुभ कार्यों पर लगी रोक भी हट जाएगी।
इस दिन दान का विशेष महत्व हैं। विद्वानो के मत से मकर संक्रांति के दिन धार्मिक साहित्य-पुस्तक इत्यादी धर्म स्थलों में दान किये जाते हैं। इस दिन अपने परिजनों सहित पूर्वजों के नाम से गाय को चारा, गणेशजी के मंदिर में तिल, लक्ष्मी मंदिर में शहद, शिव मंदिर में चावल तथा विष्णु व कृष्ण मंदिर में माखन का दान करने से विशेष फल प्राप्त होगा।
मकर संक्रांति जो कि हर बार 14 जनवरी को मनाई जाती थी लेकिन इस बार 61 साल बाद दुर्लभ शुभ योगों का संयोग बन रहा है कि इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी दिन रविवार को मनाई जाएगी| संक्रांति 14 जनवरी की रात 12:58 से लगेगी। इसलिए मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी, रविवार को रहेगा। सूर्य का राशि परिवर्तन अद्र्धरात्रि में हो रहा है इसलिए सूर्योदय से पर्व काल शुरु होगा।
इस दिन देव दर्शन, स्नान, दान के लिए 10 घंटे का पुण्यकाल रहेगा और सूर्य उपासना से सौ गुना अधिक फल मिलेगा। मकर संक्रांति पर्व से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होंगे और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। ग्रहों के राजा सूर्यदेव की अगवानी का महापर्व है मकर संक्रांति| भारतीय ज्योतिष में 12 राशियों में से एक मकर राशि में सूर्य के प्रवेश को मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति शिशिर ऋतु की समाप्ति और वसंत के आगमन का प्रतीक माना जाता है।
हमारे ज्योतिषाचार्य आचार्य विजय कुमार ने बताया है कि श्रद्धालुओं को एक साथ इन शुभ योगों का लाभ मिलेगा। यह आकाशीय सितारों के अनुसार दुर्लभ और श्रेष्ठ है। लंबे अरसे से मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती रही है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण होता है। सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही शुभ कार्यों पर लगी रोक भी हट जाएगी।
इस दिन दान का विशेष महत्व हैं। विद्वानो के मत से मकर संक्रांति के दिन धार्मिक साहित्य-पुस्तक इत्यादी धर्म स्थलों में दान किये जाते हैं। इस दिन अपने परिजनों सहित पूर्वजों के नाम से गाय को चारा, गणेशजी के मंदिर में तिल, लक्ष्मी मंदिर में शहद, शिव मंदिर में चावल तथा विष्णु व कृष्ण मंदिर में माखन का दान करने से विशेष फल प्राप्त होगा।