शास्त्रों के मुताबिक भगवान गणेश परब्रह्म के ही पांच स्वरूपों में एक है। गणपतिअथर्वशीर्ष के मुताबिक श्री गणेश को ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सूर्य, चंद्रमा, अग्रि, नवग्रह, पंचभूतों व सभी देवताओं का ही स्वरूप बताना गणपति अपार ब्रह्म शक्ति व स्वरूप को उजागर करता है।
यही कारण है कि हर शुभ अवसर व कामनापूर्ति के लिए श्री गणेश की उपासना श्रेष्ठ मानी गई है। ऐसे ही शुभ घडिय़ों में शुमार है दीपोत्सव। जिसमें लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की उपासना भी ऐश्वर्य व वैभव की कामना का तत्काल पूरी करने वाली मानी गई। है। खासतौर पर प्रथम तीन दिनों यानी, धनतेरस से लेकर दीपावली तक तीन दिनों में भगवान गणेश और लक्ष्मी की प्रसन्नता का एक छोटा-सा उपाय जीवन में अपार सुख-समृद्धि और खुशहाली लाने वाला माना गया है। धीरेन्द्र अस्थाना
यही कारण है कि हर शुभ अवसर व कामनापूर्ति के लिए श्री गणेश की उपासना श्रेष्ठ मानी गई है। ऐसे ही शुभ घडिय़ों में शुमार है दीपोत्सव। जिसमें लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की उपासना भी ऐश्वर्य व वैभव की कामना का तत्काल पूरी करने वाली मानी गई। है। खासतौर पर प्रथम तीन दिनों यानी, धनतेरस से लेकर दीपावली तक तीन दिनों में भगवान गणेश और लक्ष्मी की प्रसन्नता का एक छोटा-सा उपाय जीवन में अपार सुख-समृद्धि और खुशहाली लाने वाला माना गया है।
यह उपाय है श्री गणेश की मंत्र स्तुति का ध्यान के साथ लक्ष्मी स्वरूपा गाय की पूजा कर हरा चारा खिलाना। जानते हैं यह गणेश मंत्र स्तुति -
- धनतेरस से दीपावली के दिन प्रात: उठकर यथासंभव किसी देवालय में आंकडे के गणेश या किसी भी सिंदूर चढ़ी गणेश प्रतिमा पर सिंदूर व शुद्ध घी का लेपन करें, दूर्वा व एक जनेऊ चढाकर मोतीचूर या बूंदी के लड्ड्ओं का भोग लगाएं।
- नीचे लिखी मंत्र स्तुति बोल अंत में धूप व घी के दीप से गणेश की आरती दरिद्रता से रक्षा व भरपूर सुखों की कामना से करें।
ब्रह्मस्वरूपं परमं मङ्गलं मङ्गलालयम्।
सर्वविघ्रहरं शान्तं दातारं सर्वसम्पदाम्।।
- गणेश पूजा के बाद गाय की गंध, अक्षत व पुष्प से पूजा कर हरा चारा खिलाएं।
- धनतेरस से दीपावली के दिन प्रात: उठकर यथासंभव किसी देवालय में आंकडे के गणेश या किसी भी सिंदूर चढ़ी गणेश प्रतिमा पर सिंदूर व शुद्ध घी का लेपन करें, दूर्वा व एक जनेऊ चढाकर मोतीचूर या बूंदी के लड्ड्ओं का भोग लगाएं।
- नीचे लिखी मंत्र स्तुति बोल अंत में धूप व घी के दीप से गणेश की आरती दरिद्रता से रक्षा व भरपूर सुखों की कामना से करें।
ब्रह्मस्वरूपं परमं मङ्गलं मङ्गलालयम्।
सर्वविघ्रहरं शान्तं दातारं सर्वसम्पदाम्।।
- गणेश पूजा के बाद गाय की गंध, अक्षत व पुष्प से पूजा कर हरा चारा खिलाएं।