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लमहों की लापरवाही, सदियों का दर्द

Friday 1 June 2012


कुछ लोग अपनी सेहत बनाने के लिए लाखों रूपये खर्च करते है। तो कुछ लोग अपने पैसें से सिगरेट पीकर अपनी सेहत खराब करते है। इसे समझदारी कहा जाए या आदत की मजबूरी। भारत की पचास प्रतिशत आबादी तम्बाकू का प्रयोग करती है। जिसमें शहर व गाव के दोनों लोग शमिल है। पुरूष के अपेक्षा भारतीय महिलाएं इसके उपयोग में ज्यादा दिलचस्पी रखती हैं। अगर इनका प्रतिशत देखा जाए तो 15 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत के बीच आता है। अगर बच्चों के मामलें तम्बाकू का प्रयोग देखा जाए तो 13 से 15 वर्शो के स्कूली बच्चे इनका प्रयोग करते नजर आ रहे है। जिसमें सबसे अधिक गोवा में 3,3 प्रतिशत व नांगालैण्ड 62,8 प्रतिशत है। जबकि 1980 में इसके तम्बाकू सेवन से मरने वाले लोगों की सख्या छ:लाख तीस हजार था। आज के समय में इसके सेवन से मरने वालों की सख्या आठ से नौ लाख प्रतिवर्श हो गर्इ है। इसके सेवन से कैंसर, दिल की बीमारी व फेफड़े का रोग मुख्य रूप से होता है। अगर एक नजर इसके इतिहास पर डाले इसका कोर्इ लगभग 8000 वर्ष पुराना है। जो कि 1492 के कोलंम्बस के अमेरिका की धरती पर कदम रखने के साथ का है। जबकि भारत में तम्बाकू लाने का श्रेय पुर्तगालियों को जाता है, वह भी सन 1600 वी सदी में भारतीय से परिचय करवाया था। भारत में औधौगिक तौर पर करने की कोशिश1787 में कलकता के षिबपुर के बोटेनिकल गार्डन से इसकी शुरूआत हुर्इ थी। 1829 से ब्रिटिश सरकार ने औधौगिक स्तर पर इसकी शुरूआत की और कइ प्रकार के बीजों के नइ किस्म को उगाने का प्रयास किया जाने लगा। 1998-1999 भारत में महिलाओं के तम्बाकू के उपयोग पर एक नजर डाले तो मिरोजम में 61 प्रतिशत महिला उपयोग करती थी। जबकि 30 से 40 प्रतिशत के बीच ओडिषा व अरूणाचल प्रदेश के उपयोग किया जाता हैं। असम व मेधालय में 20 से 30 प्रतिशत के बीच इस्तेमाल किया जाता हैं। मणिपुर,सिकिकम, नांगालैण्ड,मघ्य प्रदेश ,उतर प्रदेश ,महाराश्ट्र व पश्चिम बंगाल में 15 से 20 प्रतिषत तक उपयोग महिलाए करती हैं। जबकि दस साल के बच्चों के मामलें में देखें तो दो लाख पचास हजार तक बच्चे सलाना इसका उपयोग करते है। जो कि शहर व गाव में दोनो क्षेत्रों से जुड़े है। विकसित देषों में तम्बांकू के सेवन से दिल की बीमारी के कारण मरने वालों लोगों की सख्या सबसे ज्यादा है। समय-सीमा के पहले हार्ट अटैक आने के कारण मौतें के प्रमुख कारण है। ऐसा नही है कि सरकार ने इसे रोकने के लिए पर्याप्त कदम नही उठाए है। जन संचार के माघ्यम से रोकने की भरपूर कोषिश की जा रही है। काफी हद तक इसमें सफलता भी मिली। और यही आषा व उम्मीद करते है कि आने वाला समय भारत व समस्त विकसित राष्ट्र के लिए तम्बांकू मुक्त हो।


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