लाइव यूथ Times @. Powered by Blogger.

Translate

My Blog List

क्या लग सकेगी निजी स्कूलों की लूट पर लगाम?

Tuesday 7 February 2012


धीरेंद्र अस्थाना 
निजी स्कूलों पर जो सबसे बड़े आरोप लगते रहे हैं, वो है दाखिले और फीस के नाम पर मोटी कमाई करना.लखनऊ के अभिभावक यह बात तो खुले तौर पर कहते सुने जा सकते हैं कि ये स्कूल वाले लूट रहे हैं, पर खुल कर विरोध करने से ये बचते रहे हैं. बात साफ़ है, इनके बच्चों का भविष्य भी इन्ही स्कूलों की पढाई पर टिका हुआ है, और लखनऊ जैसे शहर में विकल्पों की भी भारी कमी है. स्कूल की व्यवस्था में खर्च के बाद भी बड़ी राशि इनकी बचत होती है. स्कूलों में फीस का यहाँ कोई मापदंड नहीं है, जिसे जो मन हुआ थोप दिया. सरकार द्वारा इन स्कूलों के निबंधन के बाद ये सम्भावना तय लगती है कि इन्हें फीस में भी एकरूपता रखनी होगी.
सरकारी आंकड़े कहते हैं कि लखनऊ के प्रति व्यक्ति आय ३३४६ रू० है, जबकि राज्य का- ५००७ रू० और देश का १७८३३ रू० है. लखनऊ की ५१.८% आबादी गरीबी रेखा से नीचे की जिंदगी बसर कर रही है और निम्न जीवन जीने वालों की संख्यां ८२.६% है. इन आंकड़ों से इन स्कूल वालों को कोई लेना देना नहीं है. इनकी बातों से तोयहाँ तक लगता है कि इन्हें शायद ये आंकड़े पता भी नहीं है. डाउनबास्को स्कूल की प्राचार्या चन्द्रिका यादव तो यहाँ तक कहती हैं कि लखनऊ  में कोई आर्थिक मंदी नहीं है.यहाँ फीस अच्छी होनी चाहिए. कमोबेश यहाँ सभी निजी स्कूल प्रशासन की सोच ऐसी ही है. इनकी बातों पर यदि भरोसा करें तो सरकारी आंकड़े प्रस्तुत कर सरकार ने राजधानी के लोगों के साथ मजाक किया है.शायद यही कारण है कि यहाँ के स्कूल में छात्रों से विभिन्न तरीकों से कड़ी फीस वसूल कर ली जाती है.
  बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष का कहना है कि प्रदेश में कई ऐसे स्कूल हैं जिनका एफलियेशन नहीं है, और ये बच्चों का दाखिला ले लेते हैं.बाद में पता चलता है कि बच्चों को दाखिले के लिए दूसरे स्कूल भेजा जा रहा है.दाखिले के नाम पर मोटी कमाई करने वाले इन स्कूलों के विरोध में अभिभावकों को आगे आना चाहिए.

लेखक लखनऊ से प्रकाशित हो रहे दैनिक लोकमत में संवाददाता है 

Media Dalal .com

About Me

My Photo
Live Youth Times
View my complete profile

khulasa.com