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गज़ल के बेताज बादशाह मेहदी हसन नहीं रहे

Wednesday 13 June 2012


कराची/भारत । मेहदी हसन और गजल के चाहने वालों के लिए आज का दिन बुरी खबर लेकर आया है। मेहदी हसन का बुधवार को कराची के अस्पताल में निधन हो गया। पिछले कई दिनों से मेहदी हसन का इलाज कराची के अस्पताल में चल रहा था। हसन को फेफड़े, छाती और पेशाब करने में परेशानी थी। हसन के बेटे आरिफ हसन ने बताया कि उनके पिता पिछले 12 वर्षों से बीमार थे लेकिन इस साल उनकी तबियत ज्यादा खराब हो गई। शहंशाह-ए-गजल मेहदी हसन का बुधवार को कराची के अस्पताल में निधन हो गया। 85 साल के हसन पिछले दो साल से बीमार चल रहे। पिछले कुछ दिनों से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। डॉक्टरों ने हसन की हालत को देखते हुए उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था। वह इलाज के लिए भारत आना चाहते थे, लेकिन खराब हालत के चलते डॉक्टरों ने यात्रा करने से मना कर दिया था।
मेहदी हसन के सीने और फेफड़े में इन्फेक्शन था। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। हसन की गजल गायिकी के मुरीद भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में थे। 'अबके बिछड़े' और 'पत्ता पत्ता बूटा बूटा' जैसे सदाबहार गज़लों को अपनी आवाज देने वाले हसन ने हाल में अपनी बीमारी की वजह से अपनी आवाज खो दी थी।
हसन का जन्म राजस्थान के झुंझुनूं जिले के लूणा गांव में 18 जुलाई 1927 को हुआ था। मेहदी हसन को संगीत विरासत में मिला। उनका परिवार संगीतकारों का परिवार था। कलावंत घराने में मेहदी हसन व उनसे पहले की 15 पीढ़ियां संगीत से जुड़ी हुई थीं।
धीरेन्द्र अस्थाना 

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