धीरेन्द्र अस्थाना
यार मैं तो बारहवीं में बायो का स्टूडेंट था, लेकिन आज कॉमर्स का लेक्चर ले रहा हूं और मैं तो इंजीनियरिंग करने की सोच रहा था, लेकिन घरवाले चाहते थे कि डॉक्टर बनूं इसलिए मेडिकल में आ गया। अक्सर कई बार आपने कॉलेज गोइंग स्टूडेंट्स को ऎसी बातें करते सुना होगा।वर्तमान में स्टूडेंट्स कॅरियर को लेकर काफी कन्फ्यूज्ड हैं, और होंगे भी क्यों नहीं कॅरियर को लेकर बढ़ती प्रतिस्पर्घाओं के चलते स्टूडेंट्स इतने प्रेशर में जो हैं। मम्मी चाहती हैं बेटा डॉक्टर बने और पापा कहते हैं मेरा बेटा तो इंजीनियर बनेगा, लेकिन कोई एक बार भी ये नहीं पूछता कि वह क्या बनना चाहता है? इसके चक्कर में अक्सर स्टूडेंट्स अपने कॅरियर को दांव पर लगाकर घरवालों की पसंद को अपनी पसंद बना लेते हैं।
मार्क्स के आधार पर चुनाव
ज्यादातर स्टूडेंट्स और पेरेंट्स 10 वीं के मार्क्स के आधार पर सब्जेक्ट का चुनाव करते हैं। साइंस में ज्यादा नंबर आए तो बायो या मैथ्स में अधिक नंबर आए तो मैथ्स। लेकिन नंबर के आधार पर सब्जेक्ट का चुनाव न करके स्टूडेंट्स की रूचि, एप्टीटयूट टेस्ट, सब्जेक्ट पर पकड़ और उस सब्जेक्ट में पिछले 3 साल की परफॉर्मेस को ध्यान में रखकर ही आगे सब्जेक्ट चुनाव किया जाना चाहिए।
समझें बच्चों की रूचि
सब्जेक्ट के चुनाव में पेरेंट्स की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है, इसलिए पेरेंट्स को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक ठंग से करना चाहिए। पेरेंट्स बच्चों की रूचि को देखते हुए अपनी सहमति प्रदान करें। उन्हें ऎसे सब्जेक्ट का चुनाव न करने दें जिससे उसकी मूल प्रतिभा पर कोई असर पड़े।
इन बातों पर ध्यान दें
दसवीं के बाद सब्जेक्ट के चुनाव में कई महत्वपूर्ण बातों को ध्यान रखना चाहिए। सब्जेक्ट का चुनाव करते समय एकेडमिक अचीवमेंट के साथ किसी विषय में अपनी पकड़ और क्षमता, रूचि तथा पर्सनेलिटी को मुख्य रूप से ध्यान रखना चाहिए।
दबाव घातक
सब्जेक्ट चुनाव में पेरेंट्स का दबाव काफी घातक हो सकता है। पेरेंट्स के कारण स्टूडेंट्स अपनी मूल प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाता। इसके चलते स्टूडेंट्स अपने कॅरियर के लिए सही रास्ते का चुनाव नहीं कर पाते, जिसके कारण कॅरियर में कई परेशानियां आती हैं। बच्चों के सब्जेक्ट के चुनाव के लिए उनकी रूचि के साथ मनोवैज्ञानिक परीक्षण का सहारा लेना चाहिए, इससे बच्चे की रूचि और उस सब्जेक्ट में उसकी वास्तविक पकड़ के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- वर्षा वरवंडकर, करियर काउंसलर
कॉलेज में सब्जेक्ट बदलने या किसी दूसरे सब्जेक्ट से ग्रेजुएशन करने का सबसे बड़ा कारण सब्जेक्ट से रिलेटिड कठिनाई होती है। जैसे कि मुझे मैथ्स सब्जेक्ट तो पसंद है लेकिन मैं फीजिक्स में कमजोर हूं, जिसके चलते मुझे कॉलेज में परेशानी हो सकती है।
- राधेश्याम प्रजापति, स्टूडेंट
कॉलेज में सब्जेक्ट चेंज करना स्टूडेंट्स की वीकनेस पर डिपेंड करता है, क्योंकि स्टूडेंट्स बारहवीं में तो अपनी पसंद का सब्जेक्ट चुन लेता है, लेकिन कॉलेज में आकर ये काफी टफ हो जाता है, जिसके चलते स्टूडेंट्स सब्जेक्ट चेंज कर लेता है।
- सृजन चंद्राकर, स्टूडेंट
लेखक लखनऊ से प्रकाशित हो रहे दैनिक लोकमत में संवाददाता