शरद शुक्ला
लखनऊ। फर्जी इंजिनियरिंग कालेज चलाने वालों पर शासन नकेल कसने की तैयारी में जुट गया है। जिसके लिए शीघ्र ही एक टीम गठित की जाएगी, जो कालेजों पर छापेमारी करेगी। छापेमारी के दौरान अगर कालेज के मानक व दस्तावेज सही नहीं मिले तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होना तय है।
एआईसीटीई ऐसे कालेजों पर जल्द ही कार्रवाही शुरू करने जा रहा है। जांच टीम के निशाने पर फर्जी कालेज तो रहेंगे ही, साथ ही जिन कालेजों को सम्बद्वता प्रदान कर दी गई है उन कालेजों का भी टीम बारीकी से परीक्षण करेगी। अगर मानक सही नहीं मिले तो कालेज की सम्बद्वता समाप्त होगी।
नए शैक्षिक सत्र की शुरूआत होने से पहले अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद कालेज के मानकों को सही करना चाहती है। इसी को लेकर परिषद ने प्रदेश के सभी कालेजों का दौरा करने की कवायद शुरू कर दी है। परिषद ने वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में जांच टीम गठित की है। ये जांच टीम मानको का परिक्षण करके अपनी रिपोर्ट शासन के सामने प्रस्तुत करेगी।
सूत्रों की माने तो एआईसीटीई की टीम इंजिनियरिंग के सभी कालेजों का दौरा करने वाली है। इन कालेजों को पहले भी नोटिस जारी की जा चुकी है। फिर भी उन्होंने मानको को पूरा नहीं किया है।
राजधानी में आज की तारीख में 50 से भी अधिक तकनीकी शिक्षण संस्थान ऐसे हैं जिन्होंने गलत जानकारी प्रस्तुत कर पहले तो एआईसीटीई और बाद में गौतमबुद्व तकनीकी विश्वविद्यालय से मान्यता व सम्बद्वता हासिल कर ली लेकिन जब मौके पर पहुंचकर एआईसीटीई की टीम ने पड़ताल की तो सच्चाई कुछ और ही सामने आयी। किसी ने रिर्पोट की जगह को दिखाकर मान्यता ले रखी है। तो कही तेल पेराई की भूमि को दिखाया गया था।
कॉलेजों के पास जमीन तो बहुत दिखी लेकिन फैकल्टी और लाइब्रेरी का टोटा रहा। वहीं कुछ तो ऐसे भी है जहां निर्माण कार्य आज भी जारी है।
इन कालेजों को बकायदा नोटिस मिला, साथ ही तय तिथि मानको को पूरा करने का आदेश भी प्राप्त हुआ। लेकिन कॉलेज आज भी मानकों को पूरा नहीं कर पाए है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मान्यता लेकर कालेज खोलने वाले मालिकों के खिलाफ शिकायत मिलने पर सीबीआई ने भी छापामार अभियान समय-समय पर चलाया है।
यूपी में इसकी शुरूआत जीबीटीयू के स्थापना वर्ष 8 मई 2000 के बाद से शुरू हुई। जिसे पूर्व में यूपीटीयू के नाम से जाना जाता था। यूपीटीयू से सम्बद्वता लेने वालों कालेजों की संख्या उस समय मुठ्ठी भर ही थी। लेकिन वर्ष 2005 के बीतने तक यह आकड़ा 150 को पार कर चुका था। जबकि वर्ष 2012 तक सम्बद्वता हासिल करने वालों की संख्या को देखा जाए तो यह आंकड़ा लगभग 850 तक पहुंच चुका है। शिक्षा माफियाओं द्वारा शिक्षा का बाजारीकरण कर देने के बाद से सीबीआई का दखल इस ओर बढ़ा है।
सूत्र बताते है कि वर्ष 2000 में मोहनलालगंज स्थित लखनऊ कालेज आफ टेक्नोलाजी एण्ड मैनेजमेन्ट कॉलेज को फर्जी दस्तावेज के आधार पर मान्यता मिलने की लिखित शिकायत राष्ट्रपति तक पहुंची थी। उस समय 166 संस्थानों की सूची राष्ट्रपति को सौंपी गई थी।
मान्यता देने के नियम
यदि कालेज को विभिन्न पाठ्यक्रमों की कक्षाएं चलवानी है तो पहले एआईसीटीई में जो विषय पढ़वाने और कॉलेज खोलने के लिए मान्यता के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। जिसके आधार पर एआईसीटीई कॉलेजों के बुनियादी ढ़ाचे, फैकल्टी, लाइब्रेरी, कक्षाएं व बिल्डिगं की जाचं कराती है। उसके बाद यूपीटीयू की टीम जाकर मौके पर निरिक्षण करती है। फिर निरीक्षण से सम्बधित दस्तावेज शासन के पास भेजती है। तब जाकर किसी कालेज को मान्यता मिलती है।